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________________ 0 चन्द्रसिंह चौधरी, एम० ए०, एम० एड० 000000000000 000000000000 गुरुदेव श्री को वन्दना फOD MINNEL प MUNIL श्रद्धेय मुनीश्वर, हे विद्वद्व, अम्बा गुरुवर उपकारी, सच्चे साधक, पूर्ण आराधक, धर्म प्रचारक हितकारी। ज्ञान-भण्डारी, दया-प्रसारी पादविहारी सुखकारी, सन्त आत्मा, बने महात्मा, भज परमात्मा हियधारी ।। A ZAVAROO सब कुछ त्यागी, बन बेरागी, प्रभू अनुरागी हे ज्ञानी, अनासक्त, जग से विरक्त, प्रभु भक्त बने हे ध्यानी । दृढ़ विश्वासी, प्रेम प्रकाशी, भज अविनासी, मृदू भाषी, प्रेम दिखाते, नेम निभाते, क्षेम फैलाते, गुणदासी ।। AINIA अति मृदुवाणी, हिय हर्षाणी फैलाते हो जिन वाणी, सृजक साधना मण्डल के तुम, पुस्तक आलय लासानी। हे करुणाकर, ज्ञान उजागर, धर्म दिवाकर व्रतधारी, दर्शन पावें, गुण-गुण गावें, चित्त हर्षावें नरनारी॥ ....... सत्य-शील-सन्तोष त्रिवेणी, सूखदा वरदा वाणी, सारल्य सौम्यता समता का हिय बहता है निर्मल पानी। विषय विवेचन में अति उद्भट, हे विद्वद्व मुनि ज्ञानी, सदा बसो श्रावक मन-मन्दिर, हम अतिशय अज्ञानी ।। अति छबि न्यारी, सतव्रतधारी, हे मुनिश्वर अविकारी, मेवाड़ शिरोमणि, चरित्र चूड़ामणि, प्रीतघणी सब नरनारी। शरण तिहारी अति सुखकारी हे सुबाल-ब्रह्मचारी, परमज्ञान से लाभान्वित कर सत्य-अहिंसा व्रतधारी॥ ".'.:5874-- wwmanelay -
SR No.012038
Book TitleAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyamuni
PublisherAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages678
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
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