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विरल - विभूति गुरु अम्बा
अभिनन्दन अम्बा गुरुवर का श्रमण अभिनन्दन अम्बा गुरुवर का सकल जंगम कल्प फलद वसुधा के सन्त देने के हित जीवित रहना
संघ का अभिनन्दन है । संघ का अभिनन्दन है | अमर फल देते आए इसीलिए कुछ लेते आए ।। लेने में भी देना ही है। उत्तम हरिचन्दन है अति गम्भीर ज्ञानमय । समय में अम्बा निर्भय || बड़ी अलौकिक महिमा वाले ।
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बंधे हुए संयम से फिर भी जीवन जीते निर्बन्धन है." एक कर्मयोगी जीता है इस वृद्धावस्था में सच्चा, अम्बागुरु की परिचर्या से परिचित ही है बच्चा बच्चा ॥ जय हो, जय हो अम्बागुरु की ।
'मुनि महेन्द्र' तरु कल्प आप हैं श्री जिनशासन वन नन्दन हैं
वृत्ति भ्रामरी को भगवन् ने माना विरल विभूति तपोधन सच्चे जीवन ब्रह्मचर्य का प्रखर तेज है सभी
श्री सुकन मुनि
( सेवाभावी संत राजस्थानी के कवि )
मुनि महेन्द्रकुमार 'कमल' [[कवि और लेखक ]
श्रद्धा के सुमन
जैनन जगत बीच नाना लतान सींच, अवनि उद्यान मांही, अमराई छाई है । फूले हैं सुकूल रंग संग नाना विधि नीके, हरि-भरी मनोहारी शोभा अधिकाई है । बागन बहार ताको नैन हू निहार सारे, जुर्यो है जगत जैन, देवन बधाई है । स्याद्वाद सरस अहा सलौने 'सुकन कवि', विमल विकास और अम्बेश अगवाई है ॥ १ ॥ वानी विनोद विषद विद्युत-सी वेगवान, मरु अरु मालव भौर कीरत बगराई है । श्रावक सुजान मतिमान ओ महान जान, गुनन हिरानो ताकि खोज खबर पाई है । अति अनुराग और अतुल पुल जानी सबै, अभिनन्दन आयोजन में देत बधाई है । 'सुकन' सुकवि सुजस कहलो बखाने हम, मुनि अगवानी ध्यानी अम्बेश छवि छाई है ॥ २ ॥
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