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- यतीन्दमनिमारक गन्य आधतिक गर्भ में जैन धर्मरक्षायुक्तियों के उपयोग की परिसीमाएँ--
मानसिक विरचनाओं के कारण व्यक्ति समस्या की इनके दो कारण हैं
वास्तविकता को नजरअंदाज करने लगता है। ऐसा करने से (१) प्रथम यह कि रक्षा-युक्तियों का स्वरूप अधिकांशतः
उसका मानसिक दबाव कम हो जाता है। उदाहरणार्थ एक छोटे
से बच्चे की माँ जो किसी खतरनाक रोग से पीड़ित है, यह अचेतन रूप से ही निर्धारित होता है। अतः स्वयं व्यक्ति
दिखावा कर सकती है कि वह पीड़ित नहीं है, क्योंकि वास्तविकता को भी यह ज्ञात नहीं होने पाता कि वह इसके माध्यम से
को दिल से स्वीकार कर लेने पर अत्यधिक मानसिक कष्ट अपने किस द्वन्द्व व विफलता को छिपाने अथवा इनके उपयोग से वह अपने किस वेदनापूर्ण अनुभव के प्रभाव
होगा। अत: वह वास्तविकता को नजरअंदाज करके प्रसन्नचित
रहने का प्रयास कर सकती है। दैनिक जीवन में भी.देखने में आता को कम कर रहा है।
है कि व्यक्ति अपने प्रति की गई आलोचनाओं को नजरअंदाज (२) दूसरे यह कि जब व्यक्ति रक्षा-युक्तियों का उपयोग चेतन · करता रहता है, क्योंकि उन पर ध्यान केन्द्रित करते रहने से व्यक्ति
स्तर पर विस्तृत रूप से करने लगता है, तब स्वाभाविकतः उलझनों से ग्रस्त हो सकता है। फ्रायड ने कहा है कि व्यक्ति इससे व्यक्ति के व्यवहार में अधिक कृत्रिमता आ जाती असुखद अनुभवों का दमन कर देता है या उसे स्मृति से निकाल देने है, तथा व्यक्ति स्वयं अपने मिथ्या व्यवहार से आंतरिक का प्रयास भी कर सकता है, ताकि उसका समायोजन बना रहे। रूप से आत्म-अवमूल्यन व कुछ स्थितियों में आत्म
मानसिक विरचना अनेक प्रकार की हो सकती है, परंतु छल का अनुभव भी करने लगता है। इस प्रकार व्यक्ति
अभी तक यह निश्चित नहीं हो पाया है कि किन्हें मुख्य और के चेतन रूप से रक्षा-युक्ति के उपयोग के प्रयास से
किन्हें गौण माना जाए। सामान्यतः व्यक्ति में निम्नलिखित समायोजन के स्थान पर उल्टे उससे कुसमायोजन ही
मनोरचनाएँ अथवा रक्षा-युक्तियाँ क्रियाशील रहती हैं जो निम्न उत्पन्न होता है।
हैं, जिनके द्वारा द्वन्द्व का समाधान हो सकता है। संक्षेप में, रक्षा युक्तियों का समायोजी मूल्य व महत्त्व
१.दमन Repression -दमन से तात्पर्य चेतना में से किसी ऐसी कुछ विशेष परिसीमाओं के अंतर्गत ही रहता है, इन सीमाओं के
इच्छा, विचार या अनुभव को निकाल देना है जो दुःखद या उल्लंघन होने पर व्यक्ति के व्यवहार में असामान्य व्यवहार के ।
कष्टकर है। कोलमैन (१९७४) के कथनों के अनुसार किसी लक्षण निश्चित रूप से दिखाई देने लगते हैं।
खतरनाक इच्छा या असहनीय स्मृति को चेतना से हटा देना ही द्वन्द्वों की समस्याओं से बचने के विभिन्न रूप-- दमन है। इसी कारण दमन को प्रेरित विस्मरण (Motivated
forgetting) भी कहा जाता है। सामान्यतया समायोजन के लिए समायोजन की समस्याओं से बचने के लिए व्यक्ति प्रत्यक्ष
ऐसा करना लाभकारी होता है, परंतु सदैव ऐसा करना हानिकारक उपायों के अतिरिक्त मानसिक विरचनाओं का भी सहारा ले
भी हो सकता है। फ्रायड के कहने के मुताबिक दमित इच्छाएँ सकता है। इस अवधारणा का उपयोग फ्रायड ने उन अचेतन
अचेतन मन में पड़ी रहती हैं और अनुकूल अवसर मिलने पर प्रक्रमों के लिए किया है जिनके द्वारा व्यक्ति चिंता आदि से
चेतना में आने का प्रयास करती हैं। इनका प्रदर्शन स्वप्नों में बंचने का प्रयास करता है। फ्रायड का विश्वास था कि अचेतन ।
प्रायः होता है। प्रक्रम संकट की वास्तविकता को न्यून कर देता है। और इनके परिणामस्वरूप समस्याओं के प्रति व्यक्ति की धारणा में अंतर दमन की मनोरचना का यहाँ अन्य समरूप मानसिक आ जाता है। परंतु इसका तात्पर्य यह नहीं कि संकट वास्तव में संरचनाओं से अंतर स्पष्ट करना अति आवश्यक है। ये संरचनाएँ घट जाता है बल्कि व्यक्ति को उसके बारे में विभ्रम होने लगता निम्नांकित हैं--(i) निरोध तथा (ii) अवदमन। है और समस्या की तीव्रता इस प्रकार मानसिक स्तर पर घट (i) निरोध--इसके अंतर्गत व्यक्ति सोच-विचार के आधार पर जाती है।
एक विशेष क्रिया अथवा इच्छित अभिव्यक्ति से अपने आपको
दूर रखता है। ordedridrordidroidiariramidnididrodairidल २३drinidirodriwaridriomaritriaritariandodkar
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