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यतीन्द्रसूरिस्मारक ग्रंथ : सन्देश- वन्दन
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कुल का नाम उज्जवल किया....
का स्थानांग सूत्र में चार प्रकार के पुत्र बताये गये हैं। एक अतिजात, दो अनुजात, तीन अवजात और चौथा कुलांगार। अतिजात पुत्र अपने कुल में चार चांद लगा देता है। वह अपने कुल का नाम उज्ज्वल कर देता है। उसके नाम से उसके माता-पिता तथा कुल की पहचान होती है। वह अपने पिता की यश-कीर्ति, समृद्धि आदि में हर प्रकार से वृद्धि करता है और अपने पति से भी आगे बढ़ जाता है।
इस दृष्टि से यदि विचार किया जावें तो परम श्रद्धेय आचार्य श्रीमद्विजय यतीन्द्रसूरिश्वरजी म.सा. प्रथम श्रेणी में आते हैं। उन्होंने संयम व्रत अंगीकार कर न केवल मुनि जीवन अपनाया वरन आचार्य पद को भी सुशोभित किया। आज उनके नाम से उनका कुल जाना जाता है। उन्होंने निश्चित रूप से अपने कुल में चार चांद लगाए हैं। उसका नाम उज्ज्वल किया है।
किया ऐसे आचार्य श्रीमद्विजय यतीन्द्रसूरिश्वरजी म.सा. के दीक्षा शताब्दी वर्ष के
अवसर पर प्रकाशित होने वाले स्मारक ग्रंथ की सफलता के लिये मैं हार्दिक शुभकामना प्रेषित करते हुए उनके श्री चरणों में बारंबार वंदन करता हूं।
उमीक शान्तिलाल सिसौदिया प्रति,
टीम प्रमोट जावरा (रतलाम) म. प्र. ज्योतिषाचार्य मुनि श्री जयप्रभविजयजी 'श्रमण' श्री मोहनखेड़ा तीर्थ प्रधान सम्पादक
श्री यतीन्द्रसूरि दीक्षा शताब्दी स्मारक ग्रंथ 9x sex s3 sts say suggsys Sease ss2 2s2 2s2 (44) 62 92 93 94 93 92 922 sgsgsgsgsgsgsgsgsgsgsg9x
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