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यतीन्द्रसूरि स्मारक ग्रंथः सन्देश- वन्दन
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अनुपम विशेषताओं के धारक
जो संत पुरुष होते हैं उनके जीवन का एक-एक क्षण मूल्यावान होता है। वे समय का सही मूल्यांकन करते हुए अपने और दूसरों के जीवन का निर्माण करते हुए परम श्रद्धेय बाल ब्रह्मचारी व्याख्यान वाचस्पति आचार्य देव श्रीमद् विजय यतीन्द्रसूरिश्वरजी म.सा. जाने-माने और सुविख्यात आचार्य देव थे। उन्होंने समाज को नई दिशा दी।
समाज में उनके मार्गदर्शन में नवीन ज्योति प्रज्वलित हुई परिणामस्वरूप उस दिव्य ज्योति के प्रकाश में समाज में विपरीत मार्ग का परित्याग कर सही मार्ग का अनुसरण किया। आपने समाज को सत्य ईमानदारी और नैतिकता के मार्ग का अनुसरण करने की प्रबल प्रेरणा प्रदान की। आपने अपनी अप्रतिम प्रतिभा और शुद्ध लेखनी से जैन साहित्य के भंडार में अपूर्व योगदान दिया।
म आपके सान्निध्य में रहते हुए अनुपम आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति होती थी। आप केवल साधक ही नहीं वरन साधकों के निर्माता भी थे। आपका जीवन अनुपम विशेषताओं का भंडार था आपकी स्मृति में होने वाले स्मृति ग्रंथ की सफलता के लिए मैं अपनी मंगल कामनाएं प्रेषित करता हूं और आपके श्रीचरणों में कोटि-कोटि वंदना प्रस्तुत करता हूं।
माताजीकाकाराम
उपवावा
प्रकाशचन्द्र मूलजी भैंसवाड़ा भिवण्डी
प्रति, ज्योतिषाचार्य मुनि श्री जयप्रभविजयजी 'श्रमण' श्री मोहनखेड़ा तीर्थ प्रधान सम्पादक
श्री यतीन्द्रसूरि दीक्षा शताब्दी स्मारक ग्रंथ wasengNEResearSHRENENESENANENENARENES/02 (25) 8888SBNBIERENESENT
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