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यतीन्द्रसूरी स्मारक ग्रन्थ : व्यक्तित्व-कृतित्व की इस कारण प्रसंगानुसार गुरुदेव का जीवनचरित्र इसमें समाहित कर दिया गया प्रतीत होता है, जो स्वाभाविक ही है। ऐसा करने से पुस्तक का और भी महत्त्व बढ़ गया।
- इस प्रकार यदि हम आचार्य श्रीमद् विजय यतीन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. द्वारा रचित यात्रा साहित्य पर विचार करते हैं, तो पाते हैं कि यह यात्रा साहित्य इतिहास के साथ ही साथ भूगोल और कला विषयों पर भी प्रकाश डालता है। यह यात्रा साहित्य जहाँ पाद-विहारी जैन साधु-साध्वियों के लिए उपयोगी है, वहीं इस क्षेत्र के शोधार्थियों के लिए भी मार्गदर्शन प्रदान करने वाला है। आज के इस युग में भी यह साहित्य काफी उपोयगी है। इसकी आवश्यकता की अनुभूति आज भी होती रहती है। ऐसा साहित्य रचकर आचार्यश्री ने समाज पर उपकार ही किया है।
सवायरताला संदर्भात मात्र शानिवार शाम १. श्री यतीन्द्र विहार दिग्दर्शन - भाग ४, पृष्ठ १४-१५ हार्दिक सन्देश । २. मेरी नेमाड़ यात्रा, पृ.४-५
हालांकि ३. मेरी गोड़वाड़ यात्रा, पृ. ११-१२-
कामना ४. वही, पृ. १२
समाजमा विकास गांजगारनामा
काकीपणा
सामाणिक
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