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• यतीन्द्रसूरी स्मारक ग्रन्थ : व्यक्तित्व कृतित्व
उपर्युक्त उद्धरणों से स्पष्ट हो जाता है कि व्याख्यान वाचस्पति आचार्य भगवन् श्रीमद् विजय यतीन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. का प्रवचनसाहित्य वर्तमान सन्दर्भ में भी प्रासंगिक है। वह आज भी उतना ही उपयोगी और मार्गदर्शक है, जितना उनकी जीवितावस्था में था। अब आवश्यकता इस बात की है कि उनके प्रवचनसाहित्य का पुनः मुद्रण हो, उसका प्रचार-प्रसार हो। तभी सामान्य जन उससे लाभान्वि हो सकेंगे। जिज्ञासु अपनी जिज्ञासा का भी समाधान कर सकेंगे। इत्यलम् ।।
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