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________________ आगम का व्याख्यासाहित्य | १६९ ३. आवश्यक हरिभद्र, मलयगिरि, तिलकाचार्य, कोट्याचार्य, नमि साधु, माणिक्यशेखर ४. पिण्डनियुक्ति मलयगिरि, वीराचार्य अथवा अोधनियुक्ति मलयगिरि, द्रोणाचार्य चूलिका टीकाकार १. नन्दी हरिभद्र, मलयगिरि २. अनुयोगद्वार हरिभद्र, मलधारी हेमचन्द्र छेदसूत्र टीकाकार १. निशीथ प्रद्युम्नसूरि २. महानिशीथ ३. व्यवहार मलयगिरि ४. दशाश्रतस्कंध ब्रह्मर्षि ५. बृहत्कल्प मलयगिरि, क्षेमकीति सूरि ६. पंचकल्प प्रकीर्णक टीकाकार १. चतुःशरण गुणरत्नसूरि २. पातुर-प्रत्याख्यान ३. महाप्रत्याख्यान ४. भक्त-परिज्ञा गुणरत्न ५. तंदुलवैचारिक विजयविमल ६. संस्तारक गुणरत्न गच्छाचार विजयविमल ८. गणिविद्या ९. देवेन्द्रस्तव १०. मरण-समाधि टब्बा-परिचय-टीकामों के बाद टब्बा व्याख्या के लिखने की प्रवृत्ति सामने आई । टब्बा प्रागमों पर लिखी गई संक्षिप्त टीका है। राजस्थानी और गुजराती में जो व्याख्याएं लिखी गई वे टब्बा कहलाई। टब्बाकारों में पार्श्वचंद और धर्मसिंह जी महाराज का नाम उल्लेखनीय है । अनुवाद-आगमों पर जो भाषांतर लिखे गए, उन्हें अनुवाद कहा गया। अनुवादों में मुख्य तीन भाषाएं पाती हैं (१) हिंदी-आत्माराम, जवाहरलाल, घासीलाल, हस्तीमल, सौभाग्यमल, अमरचंद (२) अंग्रेजी-हरमन जैकीवी, अभ्यंकर (३) गुजराती- बेचरदास, जीवाभाई पटेल, दलसुख मालवणिया, सौभाग्यमुनि । आगमयुग की इस व्याख्यापरक परम्परा का मूल्यांकन होना अति आवश्यक है। -पिऊ कुज, ३ अरविंद नगर, उदयपुर (राज.) ३१३००१ धम्मो दीयो संसार समुद्र में धर्म ही दीप है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrarvorg
SR No.012035
Book TitleUmravkunvarji Diksha Swarna Jayanti Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuprabhakumari
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1988
Total Pages1288
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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