SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 58
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ महासती के नाम को सार्थक किया 0 मुनि कन्हैयालाल 'कमल' महासती श्री उमरावकंवरजी की आत्मा ने कितने भव पूर्व सम्यक्त्व प्राप्त किया, कितने भव पूर्व देश विरत और सर्वविरत जीवन पाया ? ___ यह जानना अतीन्द्रियज्ञान का विषय है। हमारे सामने सतीजो का केवल वर्तमान भव है। अनुमान के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि आपकी प्रात्मसाधना अनेक भवों से चल रही है, इसीलिए इस भव में प्रापने बाल्यावस्था में सर्व विरत होकर अपना नाम सार्थक किया है। नाम है -"उमराव" कुवर उ= उत्तर अर्थात् अन्तिम, म= मरण, रा=राग, व= वमन, वाक्यसंयोजन "राग का वमन करके अन्तिम मरण करू" इस संकल्प बल से आप अभी संयमसाधना कर रही हैं। प्रापका यह संकल्प सफल हो-यही एक शुभकामना है। 00 कीर्तिमान की स्थापना - आचार्य सुशीलकुमार योगानुसन्धान तथा अभ्यास की कसौटी पर योग की साधनाओं को जितना उमरावकुंवरजी ने अनुभूति के धरातल पर उतारा है, वैसा दूसरा उदाहरण कठिनता से ही मिलेगा। ___ मैं उनकी दीक्षा-स्वर्णजयंती के अवसर पर अपनी शुभकामनाओं को प्रेषित कर रहा हूँ। ___ उनका मंगलमय जीवन समाज के सामने नये उज्ज्वल कीर्तिमान स्थापित करे, इसी भावना के साथ । आई घड़ी अभिनदल की चरण कमल के वंदन की प्रथम खण्ड/५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.iainelibrary.org
SR No.012035
Book TitleUmravkunvarji Diksha Swarna Jayanti Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuprabhakumari
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1988
Total Pages1288
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy