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________________ 34 45 555 o to ना दी क्ष अ भि न 3 of off or . सम्प्रदाय की आग में इन्सान हर बार जला है, धर्म के नाम पर आपका अभिशाप पला है । मजहब के नाम पर भाइयों को लड़ाने वाली ! तुमने आदमी को नहीं भगवान् को छला है। वस्तुतः लोग भगवान् के नाम पर भगवान् को ही धोखा देने का प्रयत्न करते हैं और ऐसी स्थिति में सर्वात्मभाव के स्थान पर स्वार्थभाव तथा वैरभाव बढ़ता रहता है तथा भावशुद्धि केवल जबान पर रह जाती है, अन्तःकरण में वह प्रवेश नहीं कर सकती । (२) दान की शुद्ध प्रवृत्ति पत्थरों पर अपना और अपने । श्राज दान के रूप में लोग चींटियों को आटा, कुत्तों व गाय आदि को रोटी और भिखारी को तिरस्कारपूर्वक चंद सिक्के दे देते हैं। अनेक श्रीमंत लोग हजारों रुपये देकर पहले बोर्ड पर अपना नाम लिखवाते हैं अथवा संगमरमर के माता-पिता का नाम खुदवाकर उन्हें दीवालों में चुनवा देते हैं दाता के भावों को भी शुद्ध कर पाता है? नहीं, प्रथम करके तथा बेईमानी या ब्लैकमार्केटिंग करके इकट्ठा किया जाता है, कहते हैं। पर उसे भी यश, प्रतिष्ठा एवं प्रसिद्धि के लिये देकर अपने करते हैं तथा अपने नाम से पहले दानवीर लगा देखकर गर्व से फूले नहीं व्यक्तियों के लिये किसी कवि ने सत्य ही कहा है: किन्तु ऐसा दान क्या उस दानतो वह धन गरीबों का शोषण जिसे दो नंबर का अहंकार का पोषण समाते । ऐसे सभी । जिनके हाथों का शोषण होता रात-दिन, है । गरीब लोगों धर्म अपनी ठगाइयों को, ढकने है । का लोशन होता धर्मशाला छोटी पर, सी बड़ा सा नाम खुदाने वालों के दिलों में, केवल अपने अभिमान का पोषण होता है । Jain Education International शुभ होने के बदले अशुभ साबित होता है । --- वस्तुतः अहंकार को बढ़ाने वाला तथा ख्याति की भावना को पोषण देने वाला दान तृतीय खण्ड एक बार विनोबा भावे को किसी अमीर सेठ ने कुंआ खुदवाने का वचन दिया। उन्होंने इस बात को सहर्ष स्वीकार करते हुए उत्तर दिया "यह तो बहुत अच्छी बात है, इससे असंख्य लोगों का भला होगा ।" " किन्तु विनोबा साहब ! मेरी एक शर्त है।" सेठ ने कहा । 20 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012035
Book TitleUmravkunvarji Diksha Swarna Jayanti Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuprabhakumari
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1988
Total Pages1288
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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