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मेरे जीवन की पथप्रदर्शिका | २१५ सहारा मिला (क्योंकि ये पैसेवालों की दुनिया है), मुझे जिन्दगी में कुछ मिला है तो वह है आदरणीय श्री उमरावकुंवरजी म. सा. का सुमधुर वाणी से परिपूर्ण 'मांगलिक' जिसके सहारे मेरी जीवन रूपी नैया चल रही है।
मुझे ईश्वर ने दो शक्तियाँ प्रदान की हैं, प्रथम मैं व्यक्ति को बहुत जल्दी पहचान जाता हूँ, दूसरी शक्ति है आने वाले समय का पूर्व ही सपने में आभास हो जाता है । आदरणीय श्री गुरुणीजी की बीमारी के बारे में मुझे सपना पाया था, मैंने इस सपने के बारे में डैडी-मम्मी को बताया, वे बोले, सपने तो ऐसे ही आते रहते हैं, सन्त सतियों को कुछ नहीं होगा और उन्होंने ध्यान नहीं दिया। यह सपना सच हुआ और अप्रैल ८५ में गुरुणीजो इन्दौर में हस्पताल में भर्ती हुई।
आदरणीय स्वर्गीय श्री मधुकरजी म. सा. ने सपने में कहा था कि तेरे ऊपर संकट आयेगा, हिम्मत से काम लेना, धर्म तेरी रक्षा करेगा और ३-४ महीने बाद जनवरी ८५ में डैडी गम्भीर रूप से बीमार हो गये, उनको लकवा हो गया। सारी स्मरण-शक्ति चली गई। मेरो मम्मी व मुझको भी नहीं पहचान पाते थे। सब डाक्टरों व रिश्तेदारों ने सारी उम्मीदें छोड दी पर मैं बिल्कुल नहीं घबराया क्योंकि मैं जानता था कि धर्म रक्षा करेगा, आज धर्म व ईश्वर की मेहरवानी से वह खतरे से बाहर हैं, नजदीकी रिश्तेदारों व मिलने जुलने वालों को पहचानते हैं व अपना दैनिक कार्यक्रम भी स्वयं अपने हाथों से कर लेते हैं।
पहली जनवरी ८४ याने नये वर्ष के दिन मैं अादरणीय गुरुणीजी के दर्शनार्थ इन्दौर गया व मांगलिक सुना, मुझे बताते हुए बहुत हर्ष हो रहा है कि वह '८४' का वर्ष खुशियों से बीता व जिन्दगी की बड़ी-बड़ी तमन्नाएँ पूरी हुईं।
मुझे यह लिखते हुये अति हर्ष हो रहा है कि आदरणीय गुरुणीजी अनेक विशेषताओं से परिपूर्ण हैं जैसे वाणी में 'मिठास' व 'अपनापन', जैनधर्म का बहुत गहरा ज्ञान, उन्हें जैनसमाज में अत्यन्त कीति प्राप्त है, फिर भी घमण्ड तो छ नहीं पाया है, मैं इसे सौभाग्य व पिछले जन्म में अच्छे कर्मों का फल मानता हूँ कि मुझे ऐसी महान हस्ती का आशीर्वाद प्राप्त है, ऐसी महान हस्ती के सामने भला कौन बार-बार नत-मस्तक नहीं होना चाहेगा?
मेरी "सैन्ट्रल एक्साइज" विभाग में इन्सपेक्टर पद पर नियुक्ति हुई, वहाँ का वातावरण मेरे को अनुकूल नहीं पाया और मैंने ईश्वर का नाम लेकर एक वर्ष कार्य करके १३००/- रु. मासिक की तनख्वाह वाली नौकरी से जुलाई ८६ में त्याग-पत्र दे दिया और आज मैं फिर से बेरोजगार हूँ, लेकिन मुझे जरा भी अफसोस नहीं है। इस बात का सन्तोष है कि मैंने अपना अगला जन्म नहीं बिगाड़ा, पिछले जन्म के बुरे कर्मों को सजा भुगत रहा हूँ।
अन्त में आदरणीय श्री उमरावकुंवरजी 'अर्चना' म. सा. की दीर्घायु की कामना करते हुए उनके उत्तम स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करता हूँ। मेरी यही कामना है कि आदरणीय गुरुणीजी का मांगलिक व आशीर्वाद मुझे जीवन भर मिलता रहे।
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