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द्वितीय खण्ड / २१२
एक बार ग्रामानुग्राम विचरण करते हुए महासतीजी श्री चौथांजी म० सा० एवं श्री मगनाजी म. सा. आदि ठाणा का अजमेर के निकट दौराई ग्राम में भव्य आगमन हुआ। अपनी उत्तमोत्तम संयम-साधना के माध्यम से भव्यजनों को आत्मोत्थान की प्रेरणा प्रदान की। दौराई ग्राम हींगड़ों का ग्राम कहलाता है तथा इसी ग्राम में पूज्य गुरुवर्या श्री उमरावकुंवरजी म. सा. 'अर्चना' का सांसारिक ससुराल है । जब इसी गाँव से महासतीजी श्री चौथांजी विहार कर रहे थे, साथ में उनकी सभी शिष्याएं थीं और वे पूर्णरूपेण सूस्वस्थ थीं। जैसे ही पूज्य गुरुवर्या के सांसारिक ससुराल की दुकान के सामने से निकले कि अचानक महासतीजी श्री मगनाजी महाराज का निधन हो गया।
श्री चौथांजी महाराज इस हृदयाघात आकस्मिक दुर्घटना से अत्यन्त दुःखी हुए, उसी वक्त उपस्थित जन-समुदाय के सामने खुले शब्दों में कहा-मैंने आज अपना एक अमूल्य होरा खो दिया।
उन्होंने ये शब्द कहे कि यकायक एक चामत्कारिक घटना हुई–महासतीजी श्री चौथांजी महाराज के भौतिक शरीर में छः पीढ़ी पूर्व के स्वर्गस्थ महासती श्री चम्पाकुंवरजी म. सा० की आत्मा ने प्रवेश किया और उपस्थित व्यथित जनसमुदाय के बीच निश्चयात्मक शब्दों में घोषणा की कि-दु:खी होने की आवश्यकता नहीं है, जहाँ आपको लग रहा है कि एक अमूल्य हीरा खो दिया, वहीं आपको एक दिव्यरत्न की प्राप्ति होगी। आगे स्पष्ट करते हुए कहा कि इसी भूमि पर हींगड़ परिवार से आपको एक दिव्यरत्न की प्राप्ति होगी।
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि महासतीजी श्री चम्पाकुंवरजी म. सा० का देहावसान वि० सं० १९१८ में हुआ था। वे भी अपने समय की महानतम प्रख्यात साधिका रही हैं।
संयम साधना के उत्कृष्ट पथ पर चलने वाले साधक एवं साधिका की हर-पल हर-क्षण देव या देवी सेवा करते हैं । उसी क्रम में महासतीजी श्री चम्पाकुंवरजी महाराज जैसी दिव्यसाधिका के साथ हर समय नाग-देवता सेवा में रहता था।
देव द्वारा की गई भविष्यवाणी कब साकार रूप ले लेगी ? इसी प्रतीक्षा में समय बीतता जा रहा था। समय-समय पर वह दिव्यशक्ति सन्देश देती रही। महासतियों की परम्परा भी साधना, शक्ति से भव्य प्राणियों का पथ आलोकित करती रही । उसी परम्परा में ख्याति प्राप्त महासतीजी श्री चौथांजी महाराज की सुशिष्या श्री सरदारकुंवरजी महाराज का नाम समादरणीय है। जिनको भी देवशक्ति के द्वारा सन्देश मिलता रहता था।
वि० सं० १९९३ कार्तिक सुदी द्वितीया को किशनगढ़ शहर में सभी को आश्चर्यविभोर कर देने वाली एक चामत्कारिक घटना घटित हुई। वही शक्ति अर्थात् श्री चम्पाजी महाराज की आत्मा ने महासतीजी श्री सरदारकुंवरजी महाराज की भौतिक देह में प्रवेश कर, इस प्रकार भविष्यवाणी की-आज से
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