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द्वितीय खण्ड | १९६
मैं भी महासतीजी के प्रति श्रद्धा से नतमस्तक हुमा। कारण दर्शन करने पर __ मैंने अनुभव किया कि महासतीजी उपकारमयी हैं, उनके परम सौम्य व सरल हृदय से कोई भी मनुष्य प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता।
उन्होंने अपना अभी तक का जीवन कठिन तप करके, साधनामय होकर, अध्ययन करके व्यतीत किया है, जो उनके तेज स्वरूप से परिलक्षित होता है। ऐसे गुरुजनों के दर्शन भाग्य से ही मिलते हैं । मैं भी अपने आपको परम सौभाग्यशाली मानता हूँ कि मुझ तुच्छप्राणी को भी महासतीजी ने अपना आशीर्वाद दिया। मैं दिनांक १-१-८७ से प्रतिदिन महाराज उमरावकुँवरजी से मांगलिक सुनता रहा हूँ और यह क्रम लगभग एक माह बराबर चलता रहा।
मैं रोजाना सायं साढ़े पांच बजे महाराज साहब से मांगलिक सुनता था, उनके सती-परिवार शिष्या-परिवार को देखकर अत्यन्त आनन्द होता है। ऐसा लगता है, मानो गोकुल, वन्दावन, मथुरा, काशी सभी तीर्थ एकत्र हो गये हैं। पुरा सती परिवार, शिष्या-परिवार अध्ययन व सेवा कार्य में मग्न रहता है। उनके मध्य बैठ कर अपूर्व आनन्द की अनुभूति होती है। धन्य है खाचरौद तथा खाचरौद के निवासी जिन्हें ऐसी दिव्यमूर्ति के दर्शनों का, सत्संग का लाभ मिल रहा है।
जब कभी भी मैं महाराज साहब के दर्शन करने गया, उन्होंने हमेशा मेरे स्वास्थ्य व परिवार वालों तथा अन्य मित्रों के बारे में पूछताछ की। कितना ध्यान है उन्हें दूसरों का। ऐसी गुरुजनों के समीप बैठकर, उनके आशीर्वाद लेकर कौन अपने आपको गौरवान्वित महसूस नहीं करेगा । मैंने भी उनके आशीर्वाद प्राप्त कर अपने अन्दर अजीब-सी शक्ति, चेतना प्राप्त की है। मेरे अन्दर नया विश्वास जागा है। महासतीजी का यह उपदेश कि अपना कर्म करते रहो व फल की इच्छा मत करो, वही उपदेश है जो श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था। महाराज साहब की सौम्य मूर्ति के दर्शन करने की तीव्र लालसा दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही रहती है। यदि किसी रोज महासतीजी के दर्शन न हो पाते हैं तो दिल में अजीब-सी बेचैनी होती है।।
मेरे हृदय-रोग में अपूर्व सुधार एवं मधुमेह-नियन्त्रण महासतीजी के आशीर्वाद तथा उनकी सुनाई मांगलिक से ही हुअा है । महासतीजी के चरणों में वन्दना करता रहूँ, यही प्रभु से प्रार्थना करता हूँ । महासतीजी का स्वभाव अत्यन्त सरल है, उनका हृदय करुणा, दया से परिपूर्ण है । दूसरों के दुःखों को उन्होंने सहज अनुभव किया है और अपने ऊपर लिया है। महासतीजी के सयममय जीवन, त्यागभावना एवं मार्गदर्शन ने मुझे स्वस्थ तथा नीरोग बनाने में अत्यधिक मदद दी है । महासती उमरावकुंवरजी महाराज साहब के दर्शन करने देश के दूर दूर से लोग आते हैं। यह सब इसलिए कि उन्होंने हमेशा दूसरों को उचित परामर्श, सलाह व उचित कार्य करने की सलाह दी है । महासती श्री उमरावकुंवरजी के चरणों में बैठकर व शीश नवाकर मैं अपने आपको परम सौभाग्यशाली समझता हूँ तथा उनके सतीपरिवार, शिष्या-परिवार में बैठकर ऐसा लगता है जैसे किसी तीर्थस्थान पर बैठे हैं और पूर्ण शान्ति प्राप्त होती है।
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