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द्वितीय खण्ड | १४०
सुना ही रही थीं कि न मालूम कहाँ से एक बड़ा भारी काला नागराज पाकर सबके बीच में बैठ गया। उस नागराज की उपस्थिति से बहिनों से हडकम्प मच गया किन्तु महासतीजी अविचलित भाव से स्तोत्र-पाठ करते रहे और नागराज भी स्तोत्र सुनते रहे । उस नागराज के सिर पर मणि के स्थान पर बिच्छु भी था । स्थानक में शोरगुल सुनकर कुछ भाई दौड़ पड़े। वे स्थानक भी आये किन्तु किसी का साहस नागराज को पकड़ने का नहीं हुआ । स्तोत्र पाठ की समाप्ति पर वह नागराज स्वयं ही धीरे-धीरे चलकर अदृश्य हो गये। कडलू वालों को वह दृश्य प्राज भी अच्छी तरह से याद है। ____ महासतीजी द्वारा किये गये स्तोत्रपाठ की अवधि में नागराज का आना, स्तोत्र सुनना और फिर चुपचाप चला जाना भी अपने आप में एक चमत्कार ही है ।
परदुखःकातर महासतीजी की साधना अमंगल दूर करने वाली है. सफेद दाग से छुटकारा
0 श्रीमती मुकनचन्द मेहता
बात मेरी जन्मभूमि भवार की है। उस वर्ष परम विदुषी महासती श्रो उमरावकंवर जी म. सा० का चातुर्मास भवार में था। उस समय में बाल्यावस्था में थी। मेरे शरीर पर सफेद दाग हो गये थे। इससे मेरे पिताश्री सुगनचंदजो जामड़ाएवं माताजी बहुत अधिक चिन्तित रहते थे। इसका कारण यह था कि मैं तीन भाईयों के बीच एक ही बहन हूँ, इसलिये मेरे प्रति उनकी ममता अधिक ही है। सफेद दाग का उपचार भी करवाया, किन्तु कोई भी लाभ नहीं हुआ। चातुर्मास की अवधि में मैं प्रतिदिन महासतीजी का मंगलपाठ श्रवण करती और आपके द्वारा बताये अनुसार शुक्लपक्ष की एकादशी को आयंबिल व्रत करके श्री जयमलजी म० सा० का जाप करती । ऐसा करने से धीरे-धीरे मेरे शरीर के सफेद दाग ठीक हो गये।
पूजनीया महासतीजी के प्रति मेरी जो श्रद्धा-भक्ति थी वह द्विगुणित हो गई । आस्था दृढ़ से दृढ़तर हो गई। आजकल हम लोग इन्दौर में जानकी नगर में रह रहे हैं। यह भी सौभाग्य की ही बात है कि विगत दो तीन वर्षों से महासतीजी की सेवा का अवसर भी मिला। अाजकल महासतीजी इन्दौर-उज्जैन के सभी क्षेत्रों को अपनी चरणरज से पावन कर रहे हैं।
अब भी कभी-कभी मेरे कंधों में अथवा शरीर में कहीं दर्द आदि होता है तो मैं महासतीजी से मांगलिक सुनती हूँ और इससे मुझे तत्काल राहत मिल जाती
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