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परम श्रद्धे या महासतीजी श्री उमरावकुवरजी म. सा. 'अर्चना' का शिष्या-परिवार / ४९
आपने संस्कृत साहित्यरत्न की परीक्षा उत्तीर्ण की। महासती श्री गुलाबकुवरजी म. सा.
आपका जन्म लाम्बा में हुआ। आपके पिता का नाम श्रीमान् बालचन्दजी सुराणा था। आपने वि० सं० २००८ मिगसर कृष्णा एकादशी को संयम नोखा में ग्रहण किया। महासती श्री रतनकुंवरजी म. सा.
वि० सं० २०१० आषाढ़ शुक्ला पंचमी के शुभ दिन किशनगढ़ में स्व. स्वामी जी श्री हजारीमल म. सा. ने आपको दीक्षामंत्र प्रदान किया। आपको अनेक स्तवन, थोकड़े और ढालें कण्ठस्थ हैं।
___ महासती श्री उमरावकुंवरजी म. सा. 'अर्चना' अपनी शिष्याओं को आत्मसाधना पथ की महत्ता बताते हुए सदैव उनकी आस्था को दृढ़तर बनाती हैं। आपके दिव्यगुणों का प्रतिबिम्ब आपकी शिष्यानों में स्पष्ट ही देखा जा सकता है। पाप और आपका शिष्या परिवार विश्व-मानवता की धरोहर
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