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परम श्रद्धया महासतीजी श्री उमरावकुंवरजी म. सा. 'अर्चना' का शिष्या-परिवार / ४७
आप स्वभाव से गम्भीर, मितभाषी, मृदुभाषी, अध्ययनशीला, सेवाभावी एवं कर्मठ अध्यवसायी हैं । आप बुजुर्ग एवं युवापीढ़ी के मध्य एक कढ़ी के स्वरूप हैं। आपसे समाज को भविष्य में बड़ी आशाएँ हैं । ५. साध्वी श्री प्रतिभाजी म. सा.
प्रापका जन्म राजस्थान के नागौर जिले में गोगोलाव निवासी श्रीमान् घेवरचन्दजी सा. कांकरिया की धर्म-परायणा धर्मपत्नी श्रीमती कमलादेवी की
पावन कुक्षि से कार्तिक कृष्णा एकादशी वि. सं. २०१० को हुआ।
आपने वि० सं० २०३० मिगसर कृष्णा एकादशी दिनांक ९ दिसम्बर १९७४ सोमवार पू० स्वामीजी श्री ब्रजलालजी म. सा. से जैन भागवती दीक्षा महामन्दिर जोधपुर के प्रांगण में साध्वी श्री सुप्रभाजी के साथ अंगीकार की। संयम-ग्रहण करने के पश्चात् आपने साहित्यरत्न एवं सिद्धान्ताचार्य प्रथम खण्ड की परीक्षा उत्तीर्ण की। आप सदैव अध्ययनरत रहती हैं।
६. साध्वी श्री सुशीलाकुवरजी म. सा.
___ आपका जन्म वि० सं० २०१६ माघ शुक्ला द्वादशी के दिन हुआ । विजयनगर निवासी श्रीमान् जंवरीलालजी सा. बुरड़ आपके पिताजी एवं श्रीमती रतनबाई आपकी माताजी, दोनों ही धर्मनिष्ठ हैं । आपकी दीक्षा वि० सं० २०३५ मिगसर शुक्ला अष्टमी के दिन स्व. युवाचार्य श्री मिश्रीमलजी म. सा. 'मधुकर' के मुखारविंद से हुई। ___ आपने साहित्यरत्न एवं प्रभाकर की परीक्षाएं उत्तीर्ण की हैं।
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