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________________ परम श्रद्धया महासतीजी श्री उमरावकूवरजी म. सा. 'अर्चना' का शिष्या-परिवार | ४५ कुक्षि से हुआ। परिवार से मिले धार्मिक संस्कारों के कारण अापका मन धर्म में रंग गया। जिसके परिणामस्वरूप मृगशिर शुक्ला त्रयोदशी वि० सं० २०१३ में वासंती वय में उपाध्याय श्री कस्तूरचन्दजी म० सा० के मुखारविंद से ब्यावर में संयम अंगीकार किया। आप अध्यात्मयोगिनी महासती श्री उमरावकंवरजी महाराज सा. 'अर्चना' की शिष्या बनीं । आप स्वभाव से सरल एवं सदैव प्रसन्नचित्त रहती हैं। आपने पाथर्डी बोर्ड से प्राचार्य प्रथम खण्ड की परीक्षा दी। थोकड़े आदि का ज्ञान भी प्राप्त किया। संस्कृत प्रथमा की परीक्षा दी। ३. साध्वी श्री सेवावंतीजी म. सा. आपका सांसारिक नाम शान्तिदेवी था। मुकेरिया निवासी श्रीमान् उत्तमचन्द जी सा० गादिया आपके पिता और धर्म-स्वरूपा श्रीमती धर्मदेवी आपकी माता का नाम है। चैत कृष्णा तृतीया के दिन कूपकला ( श्रमण नगर ) में श्री ज्ञानमुनिजी से आपने दीक्षा ली। आप स्वभाव से सरल एवं स्पष्टवादी हैं । आप सदैव स्तवन आदि का पाठ करती रहती हैं। ४. आर्या श्री सुप्रभाकुमारीजी 'सुधा' आपका जन्म राजस्थान की वीर प्रसवा भूमि सुरम्य-स्थली, झीलों की नगरी। मेवाड़ की राजधानी उदयपुर के प्रसिद्ध व्यवसायी सेठ श्रीमान भेरूलाल जी सा० KAND Tr Jain Education International For Private & Personal Use Only Melibrary.org
SR No.012035
Book TitleUmravkunvarji Diksha Swarna Jayanti Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuprabhakumari
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1988
Total Pages1288
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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