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परम श्रद्धेया महासतीजी श्री उमरावकंवरजी म. सा. 'अर्चना'
का शिष्या-परिवार
0 डॉ० तेजसिंह गौड़
१. तपस्विनी महासती श्री उम्मेदकुवरजी म. सा०
आपका जन्म ब्यावर निवासी सेठ श्री मिश्रीमल जी सा० मुणोत की धर्मपरायणा धर्मपत्नी श्रीमती मिश्रीबाई की पावन कुक्षि से संवत् १९७८,
मृगशिर शुक्ला पंचमी को हुआ । आपका नाम सुरमाबाई रखा गया। सेठ श्री मिश्रीमल जी मुणोत स्थानकवासी समाज के श्रेष्ठ रत्न, दानवीर, धर्मनिष्ठ एवं सुयोग्य श्रावक थे । सुरमाबाई की दीक्षा २००६ ज्येष्ठ शुक्ला पंचमी को किशनगढ़ में पंजाब के प्रसिद्ध सन्त श्री विमलमुनिजी द्वारा हुई । प्रारम्भ से ही आपका जीवन तपोमय रहा । वर्षीतप से लगाकर ४० उपवास तक की तपस्या की।
संवत् २०३४ से आपने घी, तेल एवं
अन्नाहार का त्याग कर दिया। आपने रत्न-रश्मियां, श्री मूलमुक्तावली, स्वाध्याय-सुमन, विकास के सोपान, सिद्धि के सोपान आदि पुस्तकों का संकलन एवं संपादन किया एवं स्वरचित अन्तर्नाद में आपके बने पैसठिये यंत्र और उन पर ही स्तुतियाँ रची हैं । २. साध्वी श्री कंचनकुंवरजी म. सा. __आपका जन्म वि० सं० १९९९ की शिवरात्रि के दिन ब्यावर निवासी श्रीमान् माणकचन्दजी सा० डोसी ओसवाल की धर्मपत्नी श्रीमती इचरजबाई की पावन
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