________________
द्वितीय खण | २४ आत्मा के साथ शरीर है तब तक वेदनाएं तो लगी ही रहती हैं और अपना सम्बन्ध तो सिर्फ आज का ही और है । कल तो केवल स्मृतिमात्र ही रह जायेगी इसलिए तुमसे भी क्षमत-क्षमापना करने को आ गया।
उस समय उनका स्वास्थ्य अच्छा था। शरीर पर ऐसे कोई चिह्न नहीं दिखाई दे रहे थे जिससे ऐसी कल्पना की जा सके कि ये महापुरुष सबको छोड़कर आज ही चले जायेगें। रात को पौने बारह बजे संथारा किया और पौने चार बजे स्वर्गवासी हुए । केवल आपके द्वारा कहे अंतिम शब्द सभी को याद आने लगे ।
इस प्रकार वे विक्रम सम्वत् २०१३-श्रावण कृष्णा दशमी की रात को अनन्त की गोद में सदा के लिये सो गये । आज उनका भौतिक शरीर हमारे बीच नहीं है, परन्तु उनकी साधना, सरलता, सौजन्य एवं दयालुता आज भी हमारे सामने हैं । उनके गुण आज भी जीवित हैं । वे मरे नहीं बल्कि मरकर भी जीवित हैं और सदा सर्वदा जीवित रहेंगे।
Jain Educal
International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org