________________
द्वितीय खण्ड /६ दीक्षागुरु-प्राचार्य श्री हीराचन्दजी म. सा. आचार्यपद-फाल्गुन शुक्ला पंचमी, संवत् १९२० स्वर्गवास-भाद्रपद शुक्ला पंचमी, संवत् १९६०
शिष्यपरिवार-१ श्री प्रतापमलजी म. २. श्री सोहनलालजी म. ३. श्री मूलचन्दजी म. ४. श्री भीकमचन्दजी म. ।
आपकी जन्म, दीक्षा एवं मृत्यु तिथियों में मतभेद मिलते हैं । ७. आचार्य श्री भीकमचन्दजी म. सा. जन्मतिथि-अज्ञात । फिर भी संवत् १९०४ में आपका जन्म माना जा
सकता है। माता-श्रीमती जीवादेवी या जीवनदे पिता-श्री रतनचन्दजी बरलोटा (मूथा) जन्मस्थान-ग्राम चौपड़ा दीक्षातिथि-अप्राप्त दीक्षागुरु-प्राचार्यश्री किस्तूरचन्दजी म. सा. प्राचार्यपद-भाद्रपद शुक्ला पूर्णिमा, संवत् १९६० जोधपुर में स्वर्गवास-वैशाख शुक्ला पंचमी, संवत् १६६५ इस समय आपकी आयु ६१ वर्ष ६ माह होने का उल्लेख मिलता है ।
शिष्यपरिवार-१. श्री कानमलजी म. एवं २. श्री मनसुखजी म. ८. आचार्य श्री कानमलजी म. सा.
जन्मतिथि-माघ शुक्ला पूर्णिमा, सं. १९४८ माता-श्रीमती तीजादेवी पिता-श्री अंगराजजी पारिख जन्मस्थान-ग्राम धवा दीक्षातिथि-कार्तिक शुक्ला अष्टमी, संवत् १९६२ दीक्षागुरु-प्राचार्यश्री भीकमचन्दजी म. सा. दीक्षास्थान-महामन्दिर (जोधपुर)
आचार्यपद-ज्येष्ठ शुक्ला द्वादशी, सं. १९६५ कुचेरा में स्वर्गवास-माघ कृष्णा पंचमी, संवत् १९८५ आपकी चारित्रिक निष्ठा एवं अनुशासन-दक्षता की विशेष ख्याति थी।
आपका व्यक्तित्व अत्यंत प्रभावशाली था। पाप असाधारण प्रतिभा के स्वामी थे।
शिष्य-मुनि श्री चैनमलजी म. सा. ९. आचार्य श्री जसवन्तमलजी म. सा., पद प्राप्ति एवं विसर्जन
वि. सं. १९८५ में आचार्यश्री कानमलजी म. सा. के स्वर्गवास होने के तीन
Jain Educatiilternational
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org