________________
काव्यमय अभिनंदन
यह संसार असार जानकर जग से मोह हटाया, दुनिया का कोई आकर्षण जिन्हें बाँध नहीं पाया। धर्म हेतु कर दिया समर्पित जिनने तन मन धन है, महासती उमरावकुंवर का शत-शत अभिनन्दन है ।।
-हास्यकवि हजारीलाल जैन 'काका
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org