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इन भाग्यशालियों को जन बन्धुनों की ओर से पच्चीस-पच्चीस रुपयों की प्रभावना वितरण की गई। इन व्रत लेने वालों के अतिरिक्त एक सौ नागरिकों ने इन नियमों को पालने की शपथ ग्रहण की। अणुव्रत की जानकारी हेतु संघ एवं मंडल की ओर से पेम्फलेट भी समय पर प्रकाशित किये गये। दादाश्री कल्याणसागरसूरि जी म. सा. के जीवन दर्शन पर विशाल पैमाने पर कल्याणस्मृति ग्रन्थ के प्रकाशन का कार्य बाड़मेर नगर में प्रारम्भ किया गया था। पू. मुनि श्री महोदयसागर जी म. सा. ने परम पूज्य दादाश्री कल्याणसागरसूरि जी म. सा. पर हिन्दी में पुस्तक का प्रकाशन किया।
बाड़मेर नगर में प्राचार्यश्री जी चातुर्मास में त्याग एवं तपस्या, आराधना एवं उपासना, जिनमन्दिरों का निर्माण, मंडल का गठन, साहित्य का प्रकाशन, बाड़मेर से मासिक जैन समाचार पत्र प्रकाशित करने की योजना का शुभारम्भ करवाने की योजना चिर स्मरणीय रहेगी। वहां आपश्री जी की निश्रा में कच्छ रायण निवासी सौभाग्यशाली श्री तलकसी खीमजीभाई एवं रत्नकुक्षी माता श्री लक्ष्मीबाई ने अपने नव वर्षीय पुत्ररत्न श्री पोपट भाई को दीक्षित करवाने का गौरव प्राप्त किया। बाड़मेर जैन श्री संघ की ओर से दीक्षा से पूर्व श्री पोपट भाई का एवं उनके माता पिता का अभूतपूर्व स्वागत, सत्कार एवं अभिनन्दन किया। दिनांक १३-११-७६ मिगसर
का दिन बाडमेर के इतिहास का स्वर्णमरिण दिन था जिस दिन श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ में पहली बार श्री पोपट भाई की दीक्षा आचार्य भगवन्त की निश्रा में जैन न्याति नोहरे बाडमेर में सम्पन्न हुई। दीक्षा जुलूस अपार एवं विशाल निकला वर्षीदान की भावना अभूतपूर्व रही और जैन न्याति नोहरे में जैन शास्त्रानुसार प्राचार्य भगवन्त ने चतुर्विध संघ के बीच श्री पोपटभाई को दीक्षित कर उनका नामकरण मुनि श्री गुणरत्नसागर जी घोषित किया। उस समय सारा वातावरण हर्षोल्लास एवं गगन भेदी नारों से पुलकित हो उठा । नूतन बाल मुनि श्री गुणरत्नसागर जी प्राचार्य भगवन्त के शिष्य घोषित हुए। जिनकी बड़ी दीक्षा भी आपश्री जी की निश्रा में विशाल दीक्षा समारोह के बीच दिनांक ३०- ११-७६ को बाड़मेर के जैन न्याति नोहरे में सानन्द सम्पन्न हुई।
जबसे प्राचार्यश्री जी का बाड़मेर आगमन हुआ है तब से ही बाड़मेर नगर के बाहर के लोगों का दर्शनार्थ तांता बना हुआ है । माह सितम्बर १९७६ में ६ बाहर के संघों का बाड़मेर आगमन हुआ । दिनांक १२-९-७६ को भुजपुर-कच्छ से ४८ लोगों का एक संघ प्राया। जिसमें मुनि श्री कलाप्रभसागर जी म. सा. के सांसारिक जीवन में परिवार के सम्बन्धी सम्मिलित थे। इस संघ में प्रमुख रूप में श्री नरसी अरजन, श्री काकाभाई चौधरिया एवं श्री नेणसी नरसी भी सम्मिलित थे। दिनांक १३-९-७६ को पूज्य साध्वीश्री इन्दुकलाश्री जी म. सा. के संसारिक जीवन में परिवार से सम्बन्धित पांच महिला भी दर्शनार्थ पाई । अखिल भारतीय अचलगच्छ जैन श्री संघ द्वारा संचालित ६ बसों में तीन सौ व्यक्तियों का एक संघ १५-९-७६ को श्री रवजी खीमजी छेडा-उपप्रमुख अखिल भारतीय अचलगच्छ संघ एवं कच्छी बीसा ओसवाल जैन महाजन के प्रमुख, श्री टोकरसी भूलाभाई मंत्री अखिल भारतीय अचलगच्छ संघ, श्री उमरसी खीमसी पोलडिया के साथ साथ कच्छी बीसा ओसवाल जैन महाजन बम्बई के मंत्री श्री चन्दूलाल गांगजी फ्रेमवाला आदि सम्मिलित थे आये। इस संघ के आगमन पर सार्वजनिक स्वागत समारोह का आयोजन किया गया। इस संघ के अगुहा सज्जनों ने संघ पूजन किया। इस दिन प्राचार्य भगवन्त ने संघ पूजन विधि एवं उसकी महत्ता पर सारगर्भित प्रवचन दिया। दिनांक १८-९-७६ को वरली
કોઈ પણ શ્રી આર્ય કયાામસ્મૃતિગ્રંથ પર
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