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रचित रामायण का जाहीर प्रवचन भी होने लगा। जिसे सुनकर सभी धर्म सम्प्रदाय के लोग आनन्दित होने लगे । पू. मुनि श्री महोदयसागर जी म. सा. बालकों को प्रतिदिन रात्रि में कथाएं सुनाते रहे जो पर्युषण तक नियमित चलती रहीं । दिनांक १६-७-७६ से प्राचार्यश्री जी की प्रेरणा से नवकार मंत्र जाप की आराधना प्रारम्भ की गई। इस तप में करीबन ३०० स्त्री पुरुषों ने पाराधकों के रूप में भाग लिया। इन भाई बहनों ने ९ दिन तपश्चर्या की और इन्हें श्री श्वेताम्बर अचलगच्छ जैन श्री संघ की ओर से पारणा करवाया गया।
प्रवचनों की चहल पहल एवं तपश्चर्या की धमधाम के बीच बाडमेर नगर का जैन समुदाय धार्मिक कार्यक्रमों में तल्लीन होने लग गया। दिनांक २९-७-७६ श्रावणसुदि तृतिया गुरुवार को प्राचार्यश्री जी की सतत प्रेरणा से बाड़मेर नगर का सर्वविख्यात ऐतिहासिक धार्मिक एवं दर्शनीय स्थल श्री पार्श्वनाथ स्वामी के मूल मन्दिर के चारों बाजू चार नवीन मन्दिर बनाने का शिलारोपण समारोह मनाया गया। इस समारोह में हजारों लोगों ने भाग लिया एवं आशा से अधिक मन्दिर को प्रावक हुई । इस शिलारोपण समारोह के होने के पश्चात् इस पर नवीन मन्दिर बनाने का कार्य भी प्रारम्भ होने लग गया।
दिनांक ४-८-७६ को प्राचार्यश्री जी के उपदेश से अठमतम तेला तप की ३०० अाराधकों ने आराधना की। इसी तरह अष्टमाही सिद्धि तप भी ३०० आराधकों ने किया । तपस्वियों को श्री श्वेताम्बर अचलगच्छ जैन श्री संघ की ओर से पारणा करवाया गया। इसी प्रकार अक्षय निधि एवं समोवसरण तप की आराधना भी २०० भाई बहनों ने की। प्राचार्यश्री जी के चातुर्मास की व्यवस्था करने एवं युगप्रधान दादाश्री कल्याणसागरसूरीश्वर जी महाराज साहब की चतुर्थ जन्मशताब्दी की स्मृति में बाड़मेर के नवयुवकों ने मिलकर दिनांक २०-७-७६ को दादाश्री कल्याणसागरसूरि जैनमंडल की स्थापना की।
प्राचार्यश्री जी के बाड़मेर चातुर्मास के दौरान पर्वाधिराज पयूषण पर्व इस बार विशेष उत्साह महोत्सव के साथ मनाया गया। पर्युषण पर्व में भगवान महावीर जन्म दिवस पर वरघोड़ा का , गया। जिसमें हजारों नागरिकों ने भाग लिया। इस आयोजन की सफलता के लिये श्री श्वेताम्बर अचलगच्छ जैन श्री संघ एवं नवगठित दादाश्री कल्याणसागरसरि जैन मंडल का रचनात्मक सहयोग रहा। पर्युषण पर्व में सोलह उपवास, अठाई तप करने वालों की संख्या ३०० से भी अधिक रही। इसी पर्व के दौरान श्री पार्श्वनाथ जैन मन्दिर में बनने वाले चार जैनमन्दिरों छोट श्री पार्श्वनाथ मन्दिर को महावीर स्वामी के मन्दिर में परिवर्तित करने, चौमुखी श्री पार्श्वनाथ एवं तीन दादाओं की दादावाड़ी, अनकों देवी देवताओं की प्रतिमाओं को भराने की बोलियां बोलने का उत्साह अपार एवं आशा से अधिक प्रावक का रहा।
परम पूज्य आचार्यश्री गुणसागरसूरीश्वर जी महाराज साहब की निश्रा में एवं मुनि श्री कलाप्रभसागर जी के प्रवचनों से श्वेताम्बर अचलगच्छ जैनश्री संघ एवं दादा श्री कल्याणसागरसरि जैन मंडल की ओर से २९-९-७६ से ७-१०-७६ तक नौ दिवस तक पूज्य युग प्रधान दादाश्री कल्याणसागरसूरीश्वर जी म. सा. के चतुर्थ-जन्म-शताब्दी-महोत्सव के अवसर पर विशेष सुसांस्कृतिक समारोह का आयोजन किया गया । इन दिनों प्रतिदिन चतुर्थविध संघ के साथ देवदर्शन, जिनमन्दिर स्वच्छता, पांच अणुव्रतों का प्रचार, पोषध आदि कार्यक्रम आयोजित होते रहे। करीबन ४० व्यक्तियों ने चौमुखी के समक्ष बारह अगुव्रत स्वीकार करने की शपथ ली।
શ્રી આર્ય કલ્યાણગૌતમસ્મૃતિગ્રંથ કહSE
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