________________
[८२J
IIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIII
गौतमसागरसूरीश्वरजी म. सा० का जन्म-शताब्दी-महोत्सव मनाया गया । इस अवसर पर दादाश्री गौतमसागरसूरीश्वरीजी म. सा पर उनके जीवन चरित्र पर प्रकाशित पुस्तक का वितरण किया गया । इसी दिन अचलगच्छाधिपति परमपूज्य आचार्य भगवन्त श्रीगुणसागरसूरीश्वरजी म. सा. को २१ वर्ष सूरि पद के पूर्ण होने पर सरि पद महोत्सव के उपलक्ष में श्रीसंघ की ओर से मानपत्र एवं भारत विख्यात जैनतीर्थ श्री नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ ट्रस्ट कमेटी की ओर से कम्बल वेराई गई। इसी समारोह के बीच तपस्वी परम पूज्य उपाध्याय श्री गुणोदयसागर जी गुरिणवर्य म. सा. को पाठवें वर्षीतप का पारणा विशेष हर्षोल्लास के साथ करवाया । आपके साथ तीन तीन उपवास करने वाली ३०० महिलाओं को उनके भाइयों ने विशेष उत्साह एवं उमंग के साथ इक्षरस (गन्ने) के रस से पारण करवाया । इस शुभ अवसर पर एक महिला वर्षीतप करने वाली महिला को भी पारणा करवाया गया। यह पहला अवसर है जब सेलड़ी-गन्ने के रस का वर्षीतप के पारणे का उत्सव बाड़मेर नगर में आयोजित किया गया। इस समारोह में हजारों नरनारियों ने भाग लिया। तपस्वी भाई बहनों को श्री शत्रजय में मनाये जाने वाले अक्षय तृतीया पर्व की भांति यहां पर प्रभावना वितरण की गई।
वर्षीतप पारणा महोत्सव के पश्चात प्राचार्यश्री जी ने अपने साधु शिष्यों सहित बाडमेर से दिनांक २-५-७६ रविवार को विहार कर जालौर के विख्यात मन्दिरों, तीर्थों; पाली जिले की पंचतीर्थी-राणकपुर, नाडोल, नारलाई वरकाना, घाणेराव, सादड़ी प्रादि की यात्रा करते पधारे। बाड़मेर जैन श्रीसंघ ने आपको राणकपुर जैन तीर्थ पर अनुनय विनय करते हुए बाड़मेर में चातुर्मास करने की विनती की और आपश्री जी ने स्वीकृति प्रदान की। पुनः तीर्थों की यात्रा, जैन धर्म का प्रचार, जैन संघों की जानकारी करते हुए आचार्यश्री जी अपने साधू शिष्यों सहित बाड़मेर में चातुर्मास करने हेतु उग्र विहार करते हुए चल दिये। सिणधरी-बाडमेर में प्रापश्री जी की निश्रा में प्रसाढसुदि दूज को महाप्रभावक परम पूज्य युगप्रधान दादाश्री कल्याणसागरसरीश्वर जी महाराज साहब का चतुर्थ जन्मशताब्दीमहोत्सव वर्ष का शुभारम्भ किया गया। इस अवसर पर बाड़मेर के श्री वर्धमान जैनमंडल द्वारा बैण्ड बाजे के साथ उत्सव मनाया और कल्याण ज्योत का शुभारम्भ किया गया। सिणधरी से बाड़मेर नगर में चातुर्मास बिहार करते हुए पूज्य आचार्यश्री जी अपने शिष्यों सहित दिनांक २ जुलाई, १९७६ शुक्रवार आषाढ सुदि ६ को कुड़ला मार्ग से चौहटन सड़क होते हुए प्रात: साढ़े नव बजे भव्य स्वागत समारोह के साथ प्राचार्यश्री जी एवं साधुसमुदाय का नगर प्रवेश करवाया गया । नगर प्रवेश समारोह में
गरिक सम्मिलित हुए। नगर के प्रमुख मार्गों पर जगह जगह स्वागतद्वार, धार्मिक पट्टों, रंगीन ध्वजारों का प्रदर्शन किया गया । जैन मन्दिरों के देवदर्शन के पश्चात् प्राचार्यश्री जी ने अपने शिष्यों सहित बाड़मेर जैन न्याति नोहरे में प्रवेश किया। मंगलिक प्रवचन के पश्चात श्री श्वेताम्बर अचलगच्छ जैन श्रीसंघ की ओर से प्रभावना वितरण की गई।
आचार्यश्री जी का चातुर्मास प्रवेश सर्वप्रथम आषाढ शुक्ला अष्टमी रविवार दिनांक-४-७-७६ को सार्वजनिक प्रवचन आचार्य श्री जी की निश्रा में पूज्य मुनि श्री कलाप्रभसागर जी म. सा. ने प्रारम्भ किया। दिनांक ११-७-७६ को स्वयं प्राचार्य श्री जी का चातुर्मास महिमा विषय पर प्रभावक प्रवचन हुआ । श्रावण वदि २ मंगलवार दिनांक १३-७-७६ को कवि चक्रवर्ती जयशेखसूरि कृत "श्री उपदेश चिन्तामणि ग्रन्थ" पर मुनि श्री कलाप्रभसागर जी मा. सा. का प्रवचन नियमित प्रारम्भ हुआ। प्रत्येक रविवार को कलिकालसर्वज्ञ हेमचन्द्राचार्य
() શ્રી આર્ય કલ્યાણગમસ્મૃતિગ્રંથો
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org