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शनिवार को कच्छ से राजस्थान के सर्वविख्यात आबू, देलवाड़ा, जीरावाला, भीनमाल, भांडपुर, नाकोड़ा, आदि तीर्थों की यात्रा करते हुए यहां पधारे । आपके साथ आपके शिष्य समुदाय में पूजनीय तपस्वी उपाध्याय श्री. गुणोदयसागर जी म० सा० गरिणवर्य, साहित्यप्रेमी पू० मुनि श्री कलाप्रभसागर जी म० सा०, पू० मुनि श्री कवीन्द्रसागर जी म० सा० पू० वीरभद्रसागर जी म० सा०, मुनिश्री पू० मुनि श्री महोदयसागर जी म० सा०, पू० बालमुनि श्री. सूर्योदयसागर जी म० सा०, नूतन मुनिवरों पू० मुनि श्री महाप्रभासागर जी म० सा० पू० बाल मुनि श्री हरिभद्रसागर जी म० सा०, पू० बाल मुनि श्री राजरत्नसागर जी म० सा०, पू० मुनि श्री पुण्योदयसागर जी म० सा० के अतिरिक्त प्राचार्यश्री जी की प्राज्ञावर्तनी सुसाध्वीश्री पुष्पाश्री जी म० सा० की प्राज्ञावर्तिनी सुशिष्या बाल ब्रह्मचारिणी, संस्कृत साहित्यरत्ना विदुषी साध्वीश्री प्रियवंदाश्री जी म० सा०, बाल ब्रह्मचारिणी साहित्यरत्न पू० साध्वीश्री वनलताश्री जी म० सा एवं बाल ब्रह्मचारिणी पूज्य साध्वीश्री इन्दुकलाश्रीजी म० स० का भी बाड़मेर नगर में इसी दिन प्रवेश हुआ । बाड़मेर जैन श्री संघ के हजारों नरनारियों के अतिरिक्त हजारों अजैन नागरिकों ने ग्रापका भव्य एवं हार्दिक स्वागत किया । पूज्य आचार्यश्री जी एवं उनके मुनिमंडल को श्री. माणिकलाल वर्मा सीमावर्ती छात्रावास में ठहराया गया और साध्वी समुदाय को श्री महालक्ष्मी आयल मिल्स में ठहराया गया । श्राचार्य श्री. जी, उपाध्याय जी एवं साधु-साध्वियों के स्वागतार्थं पधारे नगरवासियों को मंगलिक प्रभावना वितरण की गई। दूसरे दिन दिनांक ११ अप्रेल १९७६ को प्रातः सीमावर्ती छात्रावास में प्राचार्य श्री जी ने मंगलिक प्रवचन सुनाकर सभी मानव के कल्याण की मंगल कामना की। इसी सार्वजनिक प्रवचन में मुनि श्री कलाप्रभसागरजी म० सा० ने मानव जीवन की महिमा पर अत्यन्त ही ज्ञानवर्धक प्रवचन दिया । इस सार्वजानिक प्रवचन में नगर के हजारों नागरिक उपस्थित रहे । दिनांक १२ अप्रेल १९७६ को भगवान महावीर स्वामी के जन्मदिवस पर प्रभात वेला में प्राचार्यश्री का सामेला कर नगर प्रवेश करवाया गया । इस अवसर पर आपके स्वागतार्थ आपके जीवन चरित्र पर एक पुस्तक का भी वितरण किया गया । बाड़मेर जिले के जिलाधीश श्री जगदीशपालसिंह ने इस पुस्तक में आपका स्वागत करते हुए गौरव का अनुभव किया । इस अवसर पर समस्त श्री श्वेताम्बर जैन श्री संघ की ओर से हार्दिक अभिनन्दन स्वरूप आचार्यश्री जी एवं उनके शिष्यों का चित्रमय पोस्टर प्रकाशित किया गया जो जैनजगत् का सर्वप्रथम प्रयास समझा जाता है । नगर के प्रमुख मार्गों पर श्रापके हार्दिक स्वागत हेतु स्वागतद्वारों का निर्माण किया गया । आपश्री चतुविध संघ के साथ अनेकों जैन देरासरों के दर्शन करते हुए ढाणी जैन धर्मशाला में प्रवेश किया। यहां मंगलिक सुनाने के पश्चात् श्री श्वेताम्बर अचलगच्छ जैन श्रीसंघ की ओर से प्रभावना वितरण की गई। इसके तुरन्त पश्चात् श्राचार्यश्री जी एवं उनका शिष्य मंडल यहां आयोजित भगवान महवीर जयन्ती समारोह के विराट जुलूस में सम्मलित हुए। आपके इस जुलूस में सम्मलित होने से हजारों नरनारियों ने इसमें भाग लिया और अंत में जुलूस की समाप्ति पर आपका अत्यन्त ही प्रभावशाली भाषण भगवान् महावीर के जीवन दर्शन पर हुआ ।
प्राचार्यश्री गुणसागरसूरीश्वर जी म० सा० एवं उनके शिष्य समुदाय के बाड़मेर आगमन पर यहां प्रतिदिन धार्मिक कार्यक्रम विशेष उत्साह एवं उमंग से सम्पन्न होने लगे । अक्षय तृतीया २०३३ दिनांक १-५-७६ शानिवार को विशाल पैमाने पर सार्वजानिक समारोह का आयोजन एक विशेष भगवंत ऋषभदेव पंडाल में किया गया, जहां हजारों नरनारियों के बीच राजस्थानरत्न अचलगच्छाधिपति परमपूज्य प्राचार्य भगवन्त श्री
શ્રી આર્ય કલ્યાણૌતમ સ્મૃતિગ્રંથ
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