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भूलोक के गौरव !
का संयम हो,
वह जीवन, या शत-शत नमन
वह स्थल, -साध्वी गरिमा, एम. ए. मेरी दृष्टि में, व्यक्तित्व,
महातीर्थ है, चाहे कैसा भी हो,
हे महातीर्थ ! मूल्यांकन की दृष्टि से,
भू-लोक के गौरव, मापना सहज नहीं
स्वर्ण-जयन्ती पर, चाहे कितनी भी सजगता हो,
शत-शत नमन, फिर भी,
युग-युग तक, त्रुटियां, कुछ रह ही जाती हैं,
तेरी सुरभि से, सामान्यजन का मूल्यांकन भी कठिन,
सुरभित रहे ये चमन, तो, फिर,
00 ऐसे व्यक्तित्व के विषय में, कहना या लिखना,
जिनशासन की शान नीलगगन को,
-साध्वी श्री चन्दनबालाजी म. दृष्टि से, मापने के तुल्य,
जिनशासन की शान हैं, महासती गणखान हैं विशाल पारावार को,
ज्ञान गरिमा भारी है, बड़े गुणधारी हैं.... भुजाओं से,
कुसुमवतीजी ज्ञानी हैं, निर अभिमानी हैं तिर जाने सम सम्भव नहीं,
मधुर व्यवहारी हैं, बड़े गुणधारी हैं...... जो,
वाणी में मृदुता है, मन में साधुता है अनेक गुणों का आकर,
काया कोमल वारी है, बड़े गुणधारी हैं.... अनेक रंगों का सम्मिश्रण,
अज्ञान तिमिर हटाते हैं, ज्ञान ज्योति जगाते हैं असंख्य पुष्पों की सुरभिराशि,
भव्य हितकारी हैं, बड़े गुणधारी हैं.... असंख्य दीपों का ज्योतिपुंज हो,
शिक्षा-नित्य देते हैं, जीवन नैया खेते हैं त्रय अपणाओं के संगम से,
सच्ची साधना तुम्हारी है, बड़े गुणधारी हैं.... प्रयाग, तीर्थ बन गया,
बियासी की साल में, कोठारी परिवार में पर, जहाँ,
जन्मे सुखकारी हैं, बड़े गुणधारी हैं..... त्याग और वैराग्य,
श्याम-वर्ण लघुकाया, संयम का पद पाया तप और संयम,
आत्मा ने तारी है, बड़े गुणधारी हैं..... विनय और विवेक,
शिक्षा-दीक्षा दाता थे, तपोधनी ज्ञाता थे समता और सहनता,
सोहन गुरुणी प्यारी हैं, बड़े गुणधारी हैं.... सौम्यता और सहिष्णुता,
आपका अभिनन्दन है, 'चन्दना' का वन्दन है साधना और आराधना,
शत-शत वारी है, बड़े गुणधारी हैं ।..... माधुर्यता और पवित्रता, प्रथम खण्ड : श्रद्धार्चना कर साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थOS
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