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अभिनन्दन..!
-गणेश मुनि शास्त्री वीतराग-पथ-साधिका, करती आत्मोत्थान । कुसुम कलि-सी कुसुमवती, अमर गच्छ की शान ।।
श्रमण संघ उद्यान का, सुरभित कुसुम महान। कुसुमवतीजी संघ में, रखती ऊंचा स्थान । जन-जन से पाता सदा, यश-गरिमा सम्मान ॥ कोमल दिल नवनीत-सा, मुख पर नित मुस्कान ।।
गुणग्राही ज्ञानी गुणी, समता भाव प्रधान । दिव्यप्रभाजी महासती, कर नित अनुसन्धान । दिल दर्पण-सा स्वच्छ है, घट में सम्यग्ज्ञान ॥ डॉक्टर बन गई, अब करे, ग्रन्थ रत्न निर्माण ॥
महासती सोहन कुवर, जीवन ज्योतिर्मान। शिष्याएँ सब आपकी, विनयवान गुणवान ! कुसुमवतीजी को मिली, गुरुणी गुण की खान ।। महासती पुनवान है, कहते सब इन्सान ॥
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करती करवाती सदा, जिनवाणी का पान। खिलता बढ़ता ही रहे, अनुपम कुसुमोद्यान । बढ़ता चिन्तन-श्रवण से, वीतराग विज्ञान ॥ संयम पथ के पथिक ही, कर लेते कल्याण ॥
hमोह माया में मग्न को, करवाती है भान। स्वर्ण जयन्ती पर करें, अभिनन्दन-गुण-गान ।
धर्म-वचन सुन सहज ही, खिल उठते हैं प्रान ।। स्वीकारों शुभकामना, दो जग को वरदान ।।
जीवन ज्योति जले.... जैन जगत में जिनका जीवन, महक रहा बन चन्दन है। महासती श्री कुसुमवती जी, शत-शत-शत अभिनन्दन है.
स्वर्ण जयन्ती दीक्षा की सब, मना रहे हैं नर-नारी । तेज साधना का चेहरे पर,
जीवन सद्गुण फुलवारी !! हर पल है उनका अभिनन्दन तोड़ चुके जो बंधन है। महासती श्री कुसुमती जी, शत-शत-शत अभिनन्दन है...
ज्ञान क्रिया का अदभुत संगम, निर्मल पाई वाणी ।
-प्रवर्तक श्री महेन्द्रमुनि 'कमल' सरल, विनम्र, त्याग की मूरत,
जय-जय जग कल्याणी !! उज्ज्वल यश की धारक ! तारक ! जीवन संयम स्यन्दन है। महासती श्री कुसुमवती जी, शत - शत - शत अभिनन्दन
जीवन ज्योति जले ऐसे ही, नित उजियाला फैलाये। स्वर्ण जयन्ती मना रहे हैं,
हीरक और मनाये !! क्या संशय है इसमें जीवन कमल खरा कुन्दन है। महासती श्री कुसुमवती जी, शत-शत-शत
अभिनन्दन है !!
JNU
प्रथम खण्ड : श्रद्धार्चना
Modeo साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ