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कोई अनजान व्यक्ति उधर से निकल रहा हो तो ३-रूप सम्पन्न भी, गन्ध सम्पन्न भी-कोई वह वाणी सुनकर कुछ देर ठहर जाता है। फूल रूप सम्पन्न भी होता है और गन्ध सम्पन्न भी 2
श्रोताओं को बांधे रखने की कला में भी आप होता है । जैसे-जुही का फूल ।। प्रवीण हैं । श्रोताओं की मनोदशा को समझकर ४-न रूप सम्पन्न, न गन्ध सम्पन्न-कोई फूल ! आप अपने प्रवचन प्रवाह को इस प्रकार मोड़ दे न रूप सम्पन्न होता है और न गन्ध सम्पन्न ही होता देती हैं कि श्रोतावर्ग तन्मय होकर बैठा रहता है। है । जैसे-बदरी (बोरड़ी) का फूल । आपके प्रवचन काफी प्रभावोत्पादक होते हैं। जो महासती श्री कुसुमवती जी महाराज सा. की भी एक बार आपकी वाणी का रसास्वादन कर तुलना तीसरे प्रकार के जुही के फूल से की जा लेता है, वह लम्बे समय तक भूल नहीं पाता है। सकती है। जिसमें रूप और सुगन्ध दोनों हैं । महा-|
नाम की सार्थकता-स्थानांग सूत्र ४/३/३८६ सतीजी के आकर्षक, बाह्य व्यक्तित्व के साथ-साथ में बताया गया है कि पुष्प चार प्रकार के होते हैं। सदाचार की मीठी सुगन्ध भी कूट-कूट कर भरी हुई। यथा
है। ऐसे कुसुमवत् बाह्य व आन्तरिक व्यक्तित्व की ||5 १-रूप सम्पन्न, न गन्ध सम्पन्न-कोई फूल धारक श्री कुसुमवतो जी महाराज श्रमण संघ की रूप सम्पन्न होता है, किन्तु गन्ध सम्पन्न नहीं होता। वाटिका को निरन्तर शोभित कर रही हैं और जैसे आकुलि का फूल ।।
अपनी सौरभ से जन-जन के मन को आनन्दित कर २-गन्ध सम्पन्न, न रूप सम्पन्न-कोई फूल रही हैं। गन्ध सम्पन्न होता है, किन्तु रूप सम्पन्न नहीं होता, जैसे-वकुल का फूल ।।
अतीत की स्मृतियाँ
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ब्रह्मचर्य की उत्कट साधना और जप, तप और चलते रास्ता भूल गये। चारों ओर जंगल हो ध्यान की आराधना से आपके जीवन में अनेक जंगल । चलते-चलते काफी समय हो गया। थकविशेषताएँ, चमत्कारिक घटनायें घटी हैं। साधक कर चूर हो गये। लेकिन कहीं कोई गाँव तो क्या निष्काम भाव से साधना करता है, ऐसे चमत्कारों गाँव के चिह्न भी दिखाई नहीं दे रहे थे। आसपास से उसे कोई प्रयोजन नहीं होता है। लेकिन ये तो कोई व्यक्ति भी दिखाई नहीं दे रहा था। साथ वाली ) स्वतः उसके साथ उत्पन्न हो जाती हैं। जैसे किसान सभी सतियाँ हैरान-परेशान हो गईं। अब क्या खेती करता है, वह अनाज के लिए न कि घास-फूस होगा ? कहाँ जाएँ ? किधर जाएँ ? यही प्रश्न सब के लिए । लेकिन घास-फूस भी साथ में उग जाता के मानस-पटल पर उभर रहा था। उस समय है । घटनायें तो अनेक हैं, किन्तु विस्तारभय से कुछ आपके मन में जाप चल रहा था। एकाएक एक ही घटनाओं का विवरण यहाँ दिया जा रहा है। व्यक्ति कुछ दूरी पर विपरीत दिशा से आता हुआ यथा--
दिखाई दिया। कुछ ही क्षणों में वह व्यक्ति निकट वह कौन था ?
__ आ गया । उसने वन्दन करते हुए कहा-"आप ) एक बार आप पाली पधार रहे थे । रास्ते के इधर किधर पधार रहो हैं ? इधर तो कोई रास्ता किसी एक गाँव तक पहुँचना था। लेकिन चलते- भी नहीं है । ऐसा लगता है कि आप रास्ता भूल द्वितीय खण्ड : जीवनदर्शन
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50 साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ
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