SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 104
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गहरीलाल चपलोत भगवान महावीर के सत्य अहिंसा अपरिग्रह अनेका- I ___ मंत्री-राज्यावास न्त सिद्धान्तों को अगर जीवन में आत्मसान कर __ जैन सन्त सतियों का सम्पूर्ण जीवन ज्ञान दर्शन लिये जाएँ तो सारी समस्याएं हल हो जाएंगी। ५ चारित्र का प्रतीक होता है । परम विदुषी साध्वीरत्न पु, पूजनीया महासती जी का जीवन तप व त्याग श्री कुसुमवती जी स्थानकवासी जैन समाज की का प्रतीक रहा हैएक सम्माननीया साध्वीरत्न हैं । आपके प्रति सम्पूर्ण धन्य है वो मां और पिताश्री, जिनके घर कुल में जन्म लिया, B समाज में एक आस्था है, एक श्रद्धा है। आपमें विद्वत्ता और विनम्रता का अद्भुत संगम है, आपका अपने अतुलित ज्ञान धर्म से, हम सबका जीवन धन्य किया। व्यक्तित्व बहुत ही लुभावना व चिन्तन गहरा है, प्रवचन शैली अत्यन्त रोचक है, वाणी मधुरता तथा इन्हीं रेखाओं के साथ उनके अच्छे स्वास्थ्य __ सहित दीर्घायु की मंगल कामना करता हूँ। र ओजस्विता से परिपूर्ण है, प्रकृति सरल मिलनसार और गुण सम्पन्न है। आपके बहुमुखी व्यक्तित्व सोहनलाल सोनी, नाथद्वारा में अनोखा आकर्षण है, संयम साधना उत्कृष्ट है, प्रातःस्मरणीया प्रतिक्षण वन्दनीया परम विदुषी आचार्य भद्रबाहु के शब्दों में साध्वीरत्न श्री कुसुमवती जी महाराज जैन जगत की थोवाहारो थोवभणिओ, जो होइ थोवनिदो य। उज्ज्वल तारिका हैं । आपका वर्षावास हमारे नाथथोवोवहि उवगरणो, तस्स हु देवा वि णमंसंति ॥ द्वारा नगर में हुआ। उनके वर्षावास से नाथद्वारा में ____ अर्थात् जो साधक थोड़ा खाता है, थोडा बोलता अनेक नवीन कार्य हुए। संघ में अच्छी जागृति हुई। है, थोड़ी नींद लेता है, थोड़ी ही उपकरण आदि महासती कुसुमवती जी म० ज्ञान के भण्डार 10 सामग्री रखता है, उसको देवता भी नमस्कार करते हैं, ज्ञाननिधि हैं। किसी भी विषय को समझाने के हैं। साध्वी जी म. के जीवन में ये सारी बातें विद्य- लिए वे उसकी गहराई तक पहुँचती हैं, उनके मुख से मान हैं। विश्लेषित तथ्य अच्छी तरहसे समझ आ सकते हैं। दीक्षा स्वर्ण जयन्ती के इस पुनीत अवसर पर __ वे सरस्वती की पुत्री हैं। एक-एक शब्द उनका ऐसा निकलता है जैसे पहाड़ों से झरनों का उद्भव | मैं अन्तर हृदय से यही सद्कामना करता हूँ कि CH आपका जीवन दीर्घायु हो और इसी प्रकार भविष्य होता है । कहीं कोई अधीरता नहीं, कहीं कोई हड़ बड़ाहट नहीं; एकदम शान्त स्थिर रूप से उनकी में हम श्रावकों को मार्गदर्शन प्रदान करते रहें। वाग्धारा बहती है। 0 श्रीकृष्ण लोंगपुरिया उनकी वाणी धीर गम्भीर है, हृदय को छूने मुझे यह जानकर परम प्रसन्नता हुई कि जैन वाली है । बड़े-बड़े सन्तों की वाणी सुनकर के श्रोता जगत की प्रख्यात साध्वी श्री कुसुमवती जी म. के ग्रहण कर पाते हैं या नहीं लेकिन आपके उपदेशों दीक्षा स्वर्ण जयन्ती के पावन अवसर पर समाज को किसी न किसी रूप में ग्रहण किया जाता है। द्वारा अभिनन्दन स्वरूप अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रका- आपके उपदेशों को सुनकर हमारे नाथद्वारा के शन हो रहा है। जैन धर्म के सिद्धान्त जीवन ग्यारह व्यक्तियों ने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत अंगीनिर्माण के लिए बड़े ही सहायक सिद्ध होते हैं, आज कार किया। अपने जीवन को प्रशस्त बनाया। विश्व भयंकर विनाश के कगार पर खड़ा है, सारे मैंने देखा है, वे समाज में फैले अज्ञान अन्धकार संसार में हिंसा का ताण्डव हो रहा है, मानव आज को नष्ट करने में प्रयत्नशील हैं वे समाज में पनराक्षसी वृत्ति धारण कर चुका है, ऐसी स्थिति में पती हुई रूढ़ियों-असत्परम्पराओं को नष्ट । प्रथम खण्ड : श्रद्धार्चना (20 साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ Jain Education International For Private & Personalllise Only www.jainelibrary.org
SR No.012032
Book TitleKusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaprabhashreeji
PublisherKusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur
Publication Year1990
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy