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7 प्रमोद नवलकर
पाँचवी और बेटा दूसरी क्लास में है)। जब सुबह स्कूल बस आती है, तभी वे हर चीज के लिए दौड़-भाग मचाते हैं।'
इससे पहले कि मैं बोल पाता, अमिता फिर चिल्लाई, 'टेलीविजन बंद करो। यदि तुमने अपना पाठ पूरा नहीं किया तो मैं टीचर के लिए नोट लिखकर नहीं दूंगी। वही तुम्हें दंड देगी।' उसने फिर फोन पर आकर सॉरी कहा। मैंने उससे कहा कि हम डिनर के लिए आ रहे हैं। पर वह मूड में नहीं थी। 'प्रमोद, मुझे माफ करना। मैं तुम्हें बाद में फोन करूँगी। मुझे नहीं लगता कि हम आज यह कर पाएँगें। अभी तो मैं किचन में भी नहीं गई हूँ।' यह कहते हुए वह फिर बच्चों पर चिल्लाने लगी!
जिस प्रफुल्लित अमिता ने कुछ सप्ताह पहले ही मुझे डिनर पर बुलाया था, वह इतनी गुस्सैल हो गई थी। सबकुछ तो वही था। अमिता भी वही थी। जब उसने मुझसे डिनर के लिए कहा था तो बच्चों की दिवाली को छुट्टियाँ थीं और जब मैंने यह बताने के लिए फोन किया कि मैं डिनर पर आ रहा
हूँ, तो उनका यूनिट टेस्ट होने वाला था। बोझ मत बनाओ शिक्षा को
एक समय था, जब अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल . अमिता मेरी पुरानी दोस्त है। हालाँकि वह मुझसे बहुत छोटी जाते देखकर खुश होते थे। लेकिन आज स्कूल जाते बच्चों है, पर हमारी बहुत जमती है ज्यादा नहीं मिलते, पर का मतलब है, अभिभावकों की खुशी आ अंत। यह घर-घर टेलीफोन पर एक-दूसरे से जरूर बातें करते हैं। मैंने दिवाली की कहानी है। शिक्षक, बच्चे और अभिभावक इतने पर उसे शुभकामना देने के लिए फोन किया था। उसका मूड प्रताड़ित हैं कि वे शिक्षा से घृणा करने लगते हैं। माँ अपने बहुत अच्छा था। उसने मुझे मेरी पत्नी के साथ डिनर पर घर के काम ठीक से नहीं कर पाती। पिता को घर पर शांति बुलाया। मैंने उससे अगले सप्ताह आने का वादा किया। नहीं मिलती। बच्चों का बचपन का मजा छिन जाता है। ___ काम के बोझ के कारण मैं ऐसे वादे अक्सर पूरे नहीं शिक्षक मशीन की तरह पढ़ाते हैं। समाज का स्वास्थ्य बिगड़ कर पाता। पर अचानक ऐसा हुआ कि मुझे शाम को फुर्सत गया है। मिल गई। मैंने अपने तीन दोस्तों को फोन किया, पर वे घर शिक्षा का आजकल इतना व्यवसायीकरण हो गया है कि पर थे नहीं। तब मैंने अमिता के घर फोन किया। काफी आज उद्योगपति भी फैक्टरी लगाने के बजाए एक नया समय तक किसी ने भी फोन नहीं उठाया। फिर एक स्कूल या कॉलेज खोलने को प्राथमिकता देते हैं। कोई भी नौकरानी ने उठाया। मुझे पीछे से काफी तेज आवाज सुनाई स्कूल भारी फीस लेने के बावजूद बच्चे के सुरक्षित भविष्य पड़ी। वह अमिता की आवाज थी। जब उसने फोन लिया तो की गारंटी नहीं देता। हरेक का यह विश्वास है कि अब काफी क्रोधित थी। जब मैंने उससे बात की, वह तब भी केवल कोचिंग ही बच्चों का प्रदर्शन सुधार सकती है। स्कूल क्रोधित ही थी। उसने मुझसे पूछा कि मैंने फोन क्यों किया या उसकी शिक्षा पर से सभी का विश्वास उठ गया है। है और इससे पहले कि मैं जवाब दे पाता, वह चिल्लाई, जब मैंने मैट्रिक की परीक्षा दी थी तो मैं गिरगाँव की शेट्ये 'तुम्हारी जुराबें कहाँ हैं? मैंने कल ही तुम्हें चेतावनी दी थी।' कोचिंग क्लास में पढ़ा था। मेरे स्कूल के शिक्षक मुझसे नाराज मैं स्तब्भ रह गया और मैंने पैरों की ओर देखा। जुराबें ठीक थे, क्योंकि उन्हें लगा कि यह तो उनका अपमान है। आज जगह पर थी। अमिता फिर फोन पर आई और बोली, 'सॉरी स्थिति बदल गई है। ज्यादातर शिक्षक प्राइवेट ट्यूशन करते प्रमोद, ये बच्चे हर चीज को उलझा देते हैं (अमिता की बेटी हैं। बच्चों, उनके 'आई क्यू' या उनके मनोविज्ञान से किसी का
विद्वत् खण्ड/४८
शिक्षा-एक यशस्वी दशक
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