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उस पर कोई असर नहीं होता। कक्षा में भी कागज इधर-उधर न डालें, इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
६. सेवा दिवस गणतन्त्र दिवस, स्वाधीनता दिवस, गाँधी जयन्ती आदि किसी भी अवसर पर एक दिन विद्यालय में सेवा दिवस मनाया जाये। इस दिन कक्षा, बरामदा, सीढ़ी आदि स्थानों पर बच्चे सफाई आयोजन करें, ऐसा करने से उनमें सेवा भावना जागृत होगी। ७. प्रतियोगिताएँ : ग्रीष्मावकाश, दुर्गापूजा दीपावली एवं बड़ी छुट्टियों में पेंटिंग, निबन्ध, ड्राइंग आदि प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा सकता है। इससे उनमें समय के समुचित सदुपयोग की आदत पड़ेगी। विलक्षण व्यक्तित्व वाले बच्चे भी सामने आयेंगे। ८. मानिटर, प्रिफेक्ट प्रशिक्षण विद्यालयों में बच्चे ही मानिटर / प्रिफेक्ट नियुक्त किये जाते हैं। इन बच्चों के स्वयं के प्रशिक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि उन्हें अपनी जिम्मेवारी का बोध हो सके विद्यालय की प्रगति की योजना एवं अन्य कार्यक्रमों की भी इन्हें जानकारी देनी चाहिए ताकि अन्य बच्चों को वे समझा सकें। ९. प्रबन्धकारिणी समिति प्रबन्धकारिणी समिति में अधिकतर विभिन्न समस्याओं पर ही विचार विमर्श किया जाता है। छात्रों के विकास पर भी चर्चा का विषय अवश्य रहना चाहिए।
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राष्ट्र की नजर आज नई पीढ़ी पर है और इसके निर्माण की जिम्मेवारी हम सबकी है।
आइए ! हम सब मिलकर भावी पीढ़ी को संवारने का व्रत धारण करें तथा राष्ट्र का स्वर्णिम भविष्य बनाने हेतु अपना योगदान सुनिश्चित करें।
महामंत्री, श्री विशुद्धानन्द सरस्वती हॉस्पीटल एण्ड रिसर्च सेन्टर, कोलकाता
शिक्षा-एक यशस्वी दशक
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अलका धाडीवाल
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विडम्बना है संसार की
जन्म दिया जिसको
अपने
रक्त और दूध से
सींचा जिसको
हमने
स्नेह और प्यार से
चाहा जिसको
हृदय की गहराइयों से
उसने ही तरेरी आँख
जब
चढ़ा वो परवान
हुआ वो बलवान
जब उसकी शाखाएँ दर शाखाएँ निकलीं
नयी समस्याओं
का
कितनी ही खोजों के बाद
कहाँ मिल
पाते हैं
दुःख ।
कहाँ
खोज
पाते हैं
हम
सुख ।
भोगना ही
होता है
हमें
अपने
कृत कर्मों का
फल ।
भूल
विद्वत खण्ड / ४७
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