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________________ ० सुरेन्द्रकुमार बांठिया चरित्र निर्माण का केन्द्र :: श्री जैन विद्यालय गर्व एवं गौरव का बोध हो रहा है यह जानकर कि जैन विद्यालय हावड़ा अपनी स्थापना के दस वर्ष पूर्ण कर रहा है। एक संस्था के इतिहास में दस वर्ष का समय कुछ अधिक नहीं होता, किन्तु इस अल्पकाल में इस विद्यालय ने शिक्षा के क्षेत्र में इतना सम्मान अर्जन कर लिया है कि हावड़ा के अच्छे विद्यालयों में ही नहीं अपितु हावड़ा अंचल में हिन्दी भाषी समाज द्वारा संचालित विद्यालयों में इसकी गणना सर्वश्रेष्ठ विद्यालयों में की जाती है। कोलकाता में स्थानाभाव के कारण बहुत से परिवार हावड़ा में आकर बस गए। उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए इस अंचल में एक ऐसे विद्यालय की आवश्यकता थी जहाँ उनके बच्चों को शिक्षा दी जा सके इस आवश्यकता की पूर्ति के लिए स्थानकवासी जैन सभा के समर्थ सदस्यों ने एक विद्यालय स्थापित करने का संकल्प लिया। माननीय श्री सरदारमलजी कांकरिया की देख-रेख में छ: महीने के अन्दर भवन बनकर तैयार हो गया और शिक्षा-दीक्षा का कार्य भी आरम्भ हो गया। अपनी स्थापना से आज तक विद्यालय का परीक्षाफल शत-प्रतिशत रहा। उच्च माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा अच्छे प्रशिक्षण के लिए विद्यालय के दोनों विभागों ( ब्वायज एवं गर्ल्स) को 'ए' श्रेणी का प्रमाण पत्र मिला है। हमारा समाज सम्यक् चारित्र, सम्यक् दर्शन और सम्यक् ज्ञान में विश्वास करता है, इसीलिए इस विद्यालय में शिक्षा के साथ-साथ विद्यालय खण्ड / १० Jain Education International चरित्र निर्माण की ओर विशेष ध्यान दिया जाता है । कक्षाओं में शिक्षक एवं शिक्षिकाएं भी प्रयत्नशील हैं कि बच्चों का चरित्रनिर्माण उचित रूप से हो। अच्छे स्वास्थ्य के लिए नियमित व्यायाम की व्यवस्था है। माध्यमिक के पाठ्यक्रम में योगासन आदि की व्यवस्था की गई है। छात्र-छात्राएं स्वयं अपनी सुरक्षा कर सकें इसलिए प्रशिक्षित प्रशिक्षकों द्वारा कराटे की ट्रेनिंग दी जाती है। इनमें से कई छात्र-छात्राएँ ब्ल्यू बेल्ट भी पा चुके हैं। शिक्षा शुल्क भी कम है। इससे हावड़ा के धनी गरीब सभी वर्ग के अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेज पा रहे हैं। समय-समय पर विशेष विषयों के विद्वानों को बुलाकर उनका व्याख्यान कराया जाता है। व्यावसायिक शिक्षा के लिए कम्पनी सेक्रेटरी और कम्प्यूटर के लिए विभिन्न संस्थाएँ व्याख्यान तथा प्रायोगिक शिक्षा देते हैं। समय की मांग देखते हुए विद्यालय में कम्प्यूटर, इण्टरनेट तथा मल्टीमीडिया की व्यवस्था भी की गई है। छात्र-छात्राओं की उच्च शिक्षा की व्यवस्था के लिए एक कॉलेज की आवश्यकता महसूस की जा रही है। हमलोग जमीन खोज रहे हैं। अन्त में मैं विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं तथा प्रधानाध्यापिका तथा रेक्टर को धन्यवाद देता हूँ जिनके अथक परिश्रम से विद्यालय इतना शीघ्र उन्नति के शिखर पर चढ़ता जा रहा For Private & Personal Use Only उपाध्यक्ष : श्री जैन विद्यालय फॉर ब्वायज, हावड़ा एकता अग्रवाल, ११ बी शिक्षा एक यशस्वी दशक www.jainelibrary.org
SR No.012030
Book TitleJain Vidyalay Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupraj Jain
PublisherJain Vidyalaya Calcutta
Publication Year2002
Total Pages326
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size18 MB
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