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________________ महेन्द्र कर्णावट हावड़ावासियों के लिए वरदान मुझे यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता हुई है कि श्री जैन विद्यालय हावड़ा अपनी दस वर्षीय शैक्षणिक यात्रा की सम्पूर्ति के उपलक्ष्य में शिक्षा: एक यशस्वी दशक समारोह का आयोजन नेताजी इनडोर स्टेडियम में कर रहा है एवं इस अवसर पर शिक्षा एक यशस्वी दशक' स्मारिका का लोकार्पण भी हो रहा है। किसी भी शैक्षणिक संस्थान के लिए दस वर्ष एक अल्प अवधि है। इस अल्प अवधि में भी श्री जैन विद्यालय हावड़ा ने हावड़ा की शिक्षण संस्थाओं में महत्वपूर्ण एवं अग्रणी स्थान बनाया है। यह छात्र अध्यापक, अभिभावक एवं प्रबन्धन के समन्वय का महत्त्वपूर्ण प्रतीक है। इस चतुष्कोण के ऐक्य एवं सामंजस्य के कारण यह विद्यालय निरन्तर प्रगति की ओर उन्मुख है। इस निर्माण में श्री सरदारमलजी सा. कांकरिया श्री रिखबदासजी भंसाली, श्री रिधकरणजी बोथरा आदि के साथ मेरे स्व ० पिता श्री भँवरलालजी कर्णावट का भी विशेष योगदान रहा है। उनकी यह हार्दिक इच्छा थी कि यह विद्यालय अपने नाम के अनुरूप यशस्वी एवं गौरवशाली बने। विगत अनेक वर्षों से इस विद्यालय की माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक कक्षाओं का परिणाम केवल शतप्रतिशत ही नहीं रहा है बल्कि कई विषयों में उच्च अंक प्राप्त कर छात्र-छात्राओं ने इस विद्यालय को गौरवान्वित किया है वस्तुतः शिक्षक शिक्षिकाओं के शिक्षा एक यशस्वी दशक Jain Education International अथक अध्यवसाय, कठोर परिश्रम एवं लगन का यह परिणाम है। हावड़ावासियों के लिए तो यह विद्यालय एक वरदान हैं। शिक्षा का उद्देश्य केवल शिक्षित होना ही नहीं है अपितु एक सभ्य नागरिक भी बनना है। इस विद्यालय से निकलनेवाले छात्रछात्राएं निश्चित ही शिष्ट नागरिक बनकर इस विद्यालय, समाज एवं राष्ट्र को गौरवान्वित करेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है । , किसी भी शिक्षण संस्थान का द्रुत विकास छात्र अध्यापक, अभिभावक एवं प्रबन्धन के सामंजस्य पर निर्भर करता है एवं यह अत्यन्त प्रसन्नता की बात है कि इस चतुष्कोण के समन्वय के कारण यह विद्यालय दिनोंदिन आगे बढ़ रहा है। उच्च शिक्षण स्तर, अनुशासन एवं शतप्रतिशत परीक्षा परिणाम ने इस विद्यालय को इतना लोकप्रिय बना दिया है कि छात्र छात्राओं की संख्या निरन्तर बढ़ रही है एवं यह स्थान छोटा पड़ने लगा है। इस क्षेत्र में एक कॉलेज की भी नितान्त आवश्यकता है यदि पदाधिकारी गण कॉलेज का निर्माण कर सकें तो वह सोने में सुहागा होगा। मैं समारोह की पूर्ण सफलता तथा विद्यालय के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ। For Private & Personal Use Only उपाध्यक्ष्य श्री जैन विद्यालय फॉर गर्ल्स, वड़ा श्वेता पारख, सप्तम् स विद्यालय खण्ड/ ११ www.jainelibrary.org
SR No.012030
Book TitleJain Vidyalay Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupraj Jain
PublisherJain Vidyalaya Calcutta
Publication Year2002
Total Pages326
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size18 MB
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