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सरदारमल कांकरिया
आज के युग में खासकर भारतवर्ष में शिक्षा के लिए योग्य एवं अच्छे स्कूलों की अत्यधिक कमी है। बड़े शहरों में जमीनें इतनी महंगी हो गई हैं कि नये स्कूल बनने बंद जैसे हो गये हैं। कुछ बड़े उद्योगपति अपने नाम से जरूर विद्यालय बनाते हैं, लेकिन उनकी शुल्कों का स्तर इतना ऊंचा रहता है कि जनसाधारण के लिए इन विद्यालयों में प्रवेश पाना दुष्कर कार्य हो गया है जबकि उच्च शिक्षा की आज के युग में अत्यन्त आवश्यकता है। अच्छे स्कूलों की कमी एवं शिक्षा के अभाव में कई प्रतिभाएं विकसित ही नहीं हो पाती हैं। स्वामी विवेकानन्द के अनुसार संसार के श्रेष्ठ कार्यों में अच्छा स्कूल बनाना एवं चलाना है। सेवाभाव से ताकि योग्य बालक अच्छी शिक्षा प्राप्त करके अपना जीवन ही नहीं अपितु देश को भी उन्नत बनावें । ऐसी विषम स्थिति में भी कलकत्ता जैसे महानगर में श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन सभा द्वारा विद्यालयों का संचालन निष्काम सेवा भावना एवं निष्ठा से किया जा रहा है।
श्री जैन विद्यालय कलकत्ता में विशेषकर बड़ा बाजार में अत्यन्त लोकप्रिय एवं उच्चस्तर का विद्यालय है। आज से 60 वर्ष पहले जिन सेवा समर्पित सज्जनों ने इस विद्यालय की नींव रखी उस वक्त उनका शिक्षा के प्रति सम्मान देखकर सर श्रद्धा से झुक जाता है। आज से 60 वर्ष पहले कुछ व्यवसायी सज्जनों ने भविष्य की कल्पना की थी । ये कितने दूरदर्शी थे, जिन्होंने भविष्य में शिक्षा की अनिवार्यता महसूस
हीरक जयन्ती स्मारिका
प्रगति पथ का राही : श्री जैन विद्यालय
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की थी तथा बीज के रूप में एक कमरा किराये पर लेकर एक शिक्षक की नियुक्ति की तथा 2-4 छात्रों से यह विद्यालय प्रारम्भ किया गया । शिक्षा के प्रति रुचि तथा आवश्यकता देखते हुए कुछ दिनों पश्चात् उत्साही सज्जनों ने पगैयापट्टी में संस्था का एक मकान खरीदा तथा कक्षा 5 तक विद्यालय शुरू किया। वहां कई वर्षों तक श्री जैन विद्यालय चलता रहा लेकिन शिक्षा की आगे भी आवश्यकता है एवं बढ़ती हुई छात्र संख्या महसूस कर सन् 1958 में नवीन विशाल भवन 18-डी, सुकियस लेन में विद्यालय प्रारम्भ किया गया। नये भवन में कक्षा 8 तक अध्ययन अध्यापन शुरु किया गया। श्री रामानन्द तिवारी को प्रिन्सिपल नियुक्त किया गया। योग्य अध्यापकों का चयन करके नये भवन में नई कार्यकारिणी समिति को भार सौंपा गया कि यह स्कूल उन्नत हो । कार्यकारिणी समिति में बुजुर्ग एवं नवयुवक दोनों प्रकार के सदस्य थे। कार्यकर्त्ताओं में जोश धा, आगे बढ़ने की तमन्ना थी। शिक्षक भी ऐसे योग्य एवं निष्ठावान मिले कि स्कूल को उन्नत करना ही उनका लक्ष्य था । फिर 10वीं कक्षा के लिए मान्यता मिली। कुछ समय बाद कक्षा 12 तक की मान्यता प्राप्त हुई । शनै: शनै: स्कूल बड़ा बाजार में ही नहीं सारे कलकत्ता में मशहूर हो गया।
जैन विद्यालय में भर्ती होना काफी कठिन कार्य हो गया एडमीशन के समय जो भीड़ जुटती है वह इसकी लोकप्रियता का प्रमाण है। विद्यालय में कम से कम फीस रखी हुई है। शिक्षकों को सरकार एवं बोर्ड द्वारा निर्धारित वेतन मिलता है। विज्ञान एवं वाणिज्य की शिक्षा सभी जाति के छात्रों को यहां बिना किसी भेदभाव के दी जाती है। स्काउटिंग, वैण्ड एवं आधुनिक विज्ञान प्रयोगशाला से युक्त यह स्कूल कलकत्ता के शिक्षा जगत में विशिष्ट स्थान बना चुका है। इस वर्ष कम्प्यूटर शिक्षा भी भविष्य की आवश्यकता देखते हुए प्रारंभ कर दी है। यह स्कूल मध्यम श्रेणी एवं साधारण श्रेणी के परिवारों के लिए एक आदर्श स्कूल है। यहां निम्न आय वाले परिवार के छात्रों के लिए फीस माफ की जाती है। शिक्षा सबको मिले, ऐसा लक्ष्य इस स्कूल के संचालकों का है। आज के युग में जब प्रसिद्ध स्कूलों की फीसें आसमान छू रही हैं, श्री जैन विद्यालय शिक्षा को व्यवसाय मानकर नहीं अपितु सेवा भावना से चला रही है।
स्कूलों की महती आवश्यकता को देखते हुए श्री श्वे० स्था0 जैन सभा ने बड़ा में आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के सभी साधनों से युक्त एक नवीन जैन विद्यालय का निर्माण किया। 125 लाख रुपयों की लागत से बना यह स्कूल अल्प समय में ही हवड़ा में अत्यन्त लोकप्रिय हो गया। दो वर्ष के अन्दर 2500 छात्र छात्राएं कक्षा एक से कक्षा दस तक की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। कक्षा 5 से कम्प्यूटर शिक्षण अनिवार्य है खेलकूद के भी सभी साधन यहां उपलब्ध हैं योग्य शिक्षकों की देखरेख में इस स्कूल ने हवड़ा में अपनी अलग पहचान बनाई है। कम से कम फीस द्वारा जनता की सेवा में यह स्कूल बिना किसी भेदभाव के सभी जाति के बच्चों को समान भाव से शिक्षा दे रहा है। जैन,
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विद्यालय खण्ड / ५
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