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अजित लूनिया, XI-B
क्या इसीलिए उन्होंने आजादी को साकार किया?
क्या इसीलिए उन्होंने, आजादी को साकार किया किअभिनेता को मिले नेता की पदवी,
और नेता को नट की, घोटाले पर ब्रह्म घोटाला, उस पर भी कमी नहीं है, लूट-पाट और घूसखोरी की, धर्म का मंत्र लोगों में फूंके, पर खुद फूंके चरस, अफीम और गांजा, नेता चिपक रहे हैं कुर्सी से, जैसे दीमक चिपके लकड़ी से, गांधी के प्रजातंत्र पर, आज राज है गुंडों का, हैं आज के नेता यह कहते फिरते"सर झुका सकते हैं लेकिन सर कटा सकते नहीं", देश-प्रेम का भाव गयामिट्टी के भावों में बिक, कहीं बोफोर्स तो कहीं,
और घोटाले, पता नहीं इनकी संरचना करने वाला कहां छुपा है बैठा, जिससे पूछो एक ही बात, है दोहराता - “आगे-आगे देखिये होता है क्या?
हीरक जयन्ती स्मारिका
विद्यार्थी खण्ड /९
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