________________
मिल्या जिके कहया अंबिका बीजा बोल पचास। करइ सानिध गुरुराजनइ हाजरि रहि हुलास...4 जयतिहुअण समर्या थकी अहिरूपइ धरणीन्द्र। बोल्यउ थाइसवच्छ तुं खरतरगच्छ मुणींद...5 आजथकी चऊथई वरिस फागुण सुदि शुभवार । सातमी दिवसई तूं लहसि भट्टारक पद सार...6 तिहं दीहाड़े थाकते तहं जाणयउ जिनराज। मरणउ जिनसिंहसूरियनउ ए सबल करामति आज...7 बालपणा पणि ताहरउ पूरयउ परतउ एक। थिराद सांचोर बिचई अंबिका राखी टेक...8
(पत्र 2 से 8 अभय जैन ग्रंथालय प्रति 6713) बड़ी बखती सुप्रसन्न वदन जाण्यो पुण्य अंकूर। परतखी देवी अंबिका हुई हाजरा हजूर परतखि परतउ दिठए अंबानई आधार लिपि वांची घंघाणीयई जाणइ सहु संसार
...ऐ. जैन काव्य सं. 167 तूंठी जेहनह अंबिका रे लाल अविचल दीधी वाच। लिपि वांची घंघाणीयइ रे सहु को मानइ साच
....ऐ. जैन काव्य संग्रह पृ. 170 जिनसागरसूरि रास में... उदयदिखायउ अंबिका रे लो श्रीजिनशासनदेव रे। युगप्रधान जिनचंद्र जीरे करइ कृपा नितमेवरे।
...ऐ. जैन काव्य सं. पृ. 201 अन्य शिलालेखीय सामग्री :
नीचे लिखे लेख भी मिले हैं जिनमें अम्बिका की प्रतिमा प्रतिष्ठापित करने का उल्लेख है1- सं. 1092 वर्ष नागेन्द्र संतानेन इतबारक स्य ने अंबिका प्रतिमा समस्त
गोष्ठया कारिता जूनागढ़ महावीरस्वामी के मंदिर में 2-सं. 1384 माघ सुदि 5 जिनकुशल सूरिभि: प्रतिष्ठित कारितेच... सा.उ... बालीस
(जयपुर श्रीमाल दादावाड़ी) 3- सं. 1380 श्री जिनकुशल सूरिभिः अंबिका प्रतिष्ठिता।
(बम्बई में एक श्रावक के पास) 4- सं. 1381 वैशाख वदि 5 श्री जिनचन्द्रसूरि शिष्यैः श्री जिनकुशलसूरिभिः
(बैदों के महावीर जिनालय बीकानेर में) 5- सं. 1483 वर्षे वैशाख सुदि 5 प्रग्वाट जाति सा. अभयपाल भा.
अहिव दे पु. सा. रायसिंहेन भा. लवली पुत्र सा आसड अभय राज आंबदत्तादि कुटुम्ब युतेन श्रेयसे अंबिका मूर्ति का0 प्रतिष्ठिता श्री सोमसुन्दर सुरिभिः
(रतलाम शांतिनाथ मंदिर) 6- सं. 1525 वर्षे माह 5 सोमे उके0 सा0 राजाकेन अंबिका गोत्र देव्या
व्यावर में हाला (सिंध) से आ गई है। इसके साथ सं. 1379 में श्री जिनकुशलसूरि द्वारा मार्गवदी 9 प्रतिष्ठित पीतल का सिंहासन
भी है। 8- खंभात के चिंतामणि जिनालय में भूमिग्रह में एक अंबिका गवाक्ष
है। इसमें देवी की सुन्दर प्रतिमा है। जिस पर सं. 1547 वैशाख सुदि 3 सोमवार का लेख खुदा है जिसमें प्रगवाट जाति के पासवीर की भार्या पूरी ने अपने कुटुम्ब के श्रेयार्थ श्री अंबिका की मूर्ति कराके
सुमतिसाधुसूरि से प्रतिष्ठित कराई। 9- सादड़ी के चिंतामणि पार्श्वनाथ मंदिर में अंबिका माता की संगमरमर
की एक मूर्ति जो पाली में प्रतिष्ठित है। इसका लेख इस प्रकार है... सिद्धम् सं. (13) 12 मार्ग सु. 13 श्री उ. पल्लिका स्थाने श्री शांति
नाथ चैत्ये। 10- देलवाडा मेवाड़ में वि. सं. 1476 का लेख अंबिका की मूर्ति पर
है यह महात्मा श्रीलाल जी के संग्रह में हैसं. 1476 वर्षे मार्ग सु 10 दिने मोढ़ ज्ञातीय सा. चउहथ भार्या साजणि सुत सं. मानाकेन अंबिका मूर्तिकारिता प्रतिष्ठिता श्री...
(नाहर जैन लेख संग्रह 200) 11- उज्जयंत गिरि से भी कई अम्बिका की मूर्तियां मिली हैं। इन पर
शिला लेख भी मिले हैं... सं. 1215 वर्षे चैत्र सुदि 8 रवा वद्येह श्री मदुजयन्त तीर्थे जगती समस्त देव कुलिका सत्क छाजा कुवालि सविरण संघवि ठ0 सालवाहण प्रतिपत्या सू. जसहड़ पु. सावदेवेन परिपूर्णा कृता। तथा ठ0 भरथ सुत ठ. पंडि (न)
सालिवाहणेन नागवरिसिराय परितः (भाग) चत्वारि बिंबी कृतकुंडर्मातर तदधिष्ठात्री श्री अंबिकादेवी प्रतिमा देवकुलिका च
निष्पादिता। 12- सं. 1361 फाल्गुन शुदि 3 गुरुवारे अद्येह श्री सरस्वती श्रीमच्चन्द्र
कुले वसांचार्य श्री वर्धमान संताने साध्वी मलय सुन्दरी शिष्यणी बाई सुहव आत्मश्रेयसे श्री अम्बिका देवी मूर्ति: कारापिता श्री सोमसूरि
शिष्यै श्री भावदेव सूरिभिः प्रतिष्ठिता (छ)। 13- विमलवसाहि आबू की प्रशस्ति में निम्न वर्णन है (वि. 1378 का
लेख) अशोक पुत्रासण पाणिपल्लावा समुल्ल स्य त्स्केसरश्यं (सिंह) हवाइना। शिशु द्वायांल कृतविहुगहा सती सतां क्रियाद्वध्त विनाराम अंबिका॥1॥ अयान्वदातं निशि दण्डडनायकं समादिदेश प्रपता किलाम्बिका।
इहामि (च) ले त्वं कुरू सद्म सुन्दरं युगा दिभत् निरूपायस श्रय...10 14- अचलगढ़ में शांतिनाथ मंदिर में अंबिका देवी की मूर्ति पर
सं. 1515 वर्षे आषाढ़वादि। शुक्रेउकेश वंशे दरड़ा गोत्रे आसा. भा. सरयु पुत्रेण सं. मंडलिकेन भाग हीराई सु० सुजण द्वि. भा. रोहिणी पृ. भ्रा. सा. पाल्हादि परिवार संयुतेन श्री चतुर्मुख प्रासादे श्री अम्बिका
का।
7- सं. 1380 कार्तिक सु. 14 श्री जिनचन्द्रसूरि शिष्य श्री जिनकुशल
सूरिभिः श्री अंबिका प्रतिष्ठिता - जैन तीर्थ सर्व संग्रह 372 यह प्रतिमा
हीरक जयन्ती स्मारिका
विद्वत् खण्ड / ७३
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org