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खण्ड २ : आशीर्वचन : शुभकामनाएँ
साध्वियों ने जिनशासन की गरिमा में सदा ही चार चाँद लगाये हैं। उन्हीं साध्वीरत्नों में साध्वी श्री सज्जन श्रीजी महाराज का नाम बड़े गौरव से लिया जा सकता है । आपका सरल उदार स्वभाव एवं धर्मपरायणता तथा आत्मसाधना आपके अद्भुत व्यक्तित्व को निखारने में सदा सहायक रही है ।
गुणियों के गुणानुवाद करने से कर्मों की भी निर्जरा होती है । मैं अपनी अनन्त श्रद्धा महासती जी के चरणों में समर्पित करती हूँ कि वे युग-युग तक धर्म की प्रबल प्रभावना करती रहे और आपका यशस्वी जीवन सभी के लिये प्रेरणास्पद रहे । आपश्री का अभिनन्दन हमारे लिये गौरवास्पद बात है ।
श्री चिरंजीलालजी रेड
मुझे यह जानकर अति प्रसन्नता हुई कि परमविदुषी प्रवर्तिनी श्री सज्जन श्रीजी म. सा. की ८वीं वर्षगांठ के पावन अवसर पर एक सार्वजनिक अभिनन्दन समारोह उनके तेजस्वी व्यक्तित्व और कृतित्व को उजागर करने वाला अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित किया जा रहा है । अभिनन्दन ग्रन्थ के प्रकाशन से देश के हर क्ष ेत्र व धर्म के लोगों पर उनके चरित्रवान जीवन का गहरा प्रभाव पड़ेगा । इस शुभ अवसर पर हम सब मिलकर आपका सादर अभिनन्दन करते हुए आपके शतायु होने की कामना करते हैं ।
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श्रीमती पन्ना सुकलेचा
परम विदुषी साध्वीरत्न श्री सज्जनश्री जी महाराज एक पहुँची हुई साधिका हैं और खरतर - गच्छ धर्म संघ की वर्तमान में प्रवर्तिनी है । उनके गौरवमय जीवन को जब मैं निहारती हैं तो मेरा मन बांसों उछलने लगता है ।
मुझे गौरव है हमारे परिवार में ऐसी विदुषी साध्वी है जिन्होंने हमारे कुल गौरव में चार चाँद
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लगाये हैं । उनकी ८वीं जन्म जयन्ती पर यह अभिनन्दन ग्रन्थ समर्पित किया जा रहा है । जिससे उनकी महिमा और गरिमा स्वतः सिद्ध होती है । मैं भी इस सुनहरे अवसर पर श्रद्धा सुमन अर्पित करती हूँ ।
सुश्री शालिनी लूनिया
जैनधर्म के खरतरगच्छ संघ की विदुषी प्रवतिनी श्री सज्जन श्रीजी म० सा० एक अलौकिक प्रतिभा की दिव्य ज्योतिर्मय तारिका हैं ।
आप खरतरगच्छ संघ की एक ओजस्वी साध्वी हैं | आपका जीवन अनन्त आकाश से भी अधिक विशाल है । मैं ऐसी परम विदुषी भुवासा म० सा० को नतमस्तक हो शत-शत अभिनन्दन करती हूँ व इस मंगल अवसर पर यह कामना करती हूँ कि आप युग-युग तक स्वस्थ व प्रसन्न रहकर जैनधर्म की ज्योति को अक्षुण्ण बनाये रखें ।
सुश्री सायर लूनिया
साध्वी सज्जन श्रीजी म० सा० विदुषी प्रवतिनी । लूनिया परिवार की बेटी और गोलेच्छा परिवार की बहू | आप अलौकिक गुणों से, कठिन साधना से सतत् अध्ययन अध्यापन से, इस प्रकार महिमा मंडित हुई कि स्वनामधन्या होने के साथ-साथ दोनों परिवारों का नाम भी उज्ज्वल कर दिया। हमें गर्व है कि हमारे परिवार में से एक ऐसी विभूति ने जन्म लिया जिन्होंने जिनशासन सेवा के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया। आपकी कीर्ति तो ध्रुव नक्षत्र के समान खरतरगच्छ संघ की विदुषी आगमज्ञा प्रवर्तिनी के नाम से स्वतः दीप्तिमयी है ।
प्रवर्तिनी श्री सज्जन श्रीजी म. सा० साधनामय जीवन के ४७ वसन्त पूर्ण किये हैं । त्याग और तपस्या के इस भव्य गरिमामय व्यक्तित्व का आज लूनिया परिवार शत-शत अभिनन्दन करता है ।
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