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________________ पूर्व खण्ड २ : आशीर्वचन : शुभकामनाएँ श्री इन्द्रचन्द्रजी मालू स्थान बना लिया था और जैन कोकिला विरुद से ध्यक्ष सम्मानित हुई थीं। एवं पुज्य प्रवर्तिनी महोदया श्री सज्जनश्रीजी श्री अमृतराज बागरेचा महाराज साहिबा के अभिनन्दन समारोह के उपलक्ष पूर्व उपाध्यक्ष में हम भी अपने श्रद्धा सुमन से उनके सज्जनतापूर्ण (श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ जोधपुर) शालीन व्यक्तित्व के लिए हार्दिक अभिनन्दन करते जयपुर के अति प्रतिष्ठित कुटम्ब की पुत्रवधु हुए उनके अच्छे स्वास्थ एवं दीर्घायु की श्री दादाजिसे वैभवता एवं सम्पन्नता का तनिक भी अभाव गुरु स प्राथना करत है। नहीं । ऐसे सुखद वातावरण से संयम के कठोर पथ पर अग्रसर होने की तीव्र लालसा एवं दृढ़ संकल्प अनुमोदना से प्रेरित होकर तरुण अवस्था में ही आपने दीक्षा 0 जनरल मैनेजर : सेठ आणंदजी ग्रहण कर महान कल्याणकारी कार्य किया। __ कल्याणजी पेढ़ी अहमदाबाद ___ आपने अपने आत्म कल्याण हेतु कठिन तपस्यायें भी की हैं परन्तु इसके साथ ही आपकी लोक-कल्याण उपरोक्त अभिनन्दन ग्रन्थ आपनी संस्था तरफ .. एवं पर-सेवा करने की प्रवृत्ति भी अथक रूप से थी प्रकाशित करवानी योजना परत्वे खूब-खूब सक्रिय है । अतः दूसरों की आत्मा को आनन्द देना धन्यवाद । ही आपके जीवन की सरस घारा रही है। सेठ आणंदजी पेढीना प्रमुखश्री तथा ट्रस्टीआपका त्यागपूर्ण जीवन आपकी सर्वोपरि उप मंडल आ प्रकाशननी अनुमोदना करीये छीये । _ लब्धि है और इसी कारण धार्मिक सहिष्णुता-समन्वय, अनुशासन, उदारता, नम्रता से आप सर्वोच्च जीवाणा खरतरगच्छ संघ पद प्रवर्तिनी का गौरवान्वित कर रही हैं तथा प्रवतिनीश्रीजी सर्वथा अभिनन्दन के योग्य साध्वी समुदाय के लिए अनुकरणीय उदाहरण भी हैं। सज्जनश्री म. सा० विदुषी होते हुए भी अहम् उपस्थित कर रही हैं। अहंकार से घिरी हुई नहीं है। संयम साधना के __ आपके इन्हीं महान गुणों से ओत-प्रोत व्यक्ति क्षेत्र में साध्वी जी की अप्रमत्तता अनुकरणीय व को निखारने हेतु सूर्य नगरी-जोधपूर को, वि० सं० अनुमोदनीय है। २०३६ में आपके भव्य चातुर्मास में, आपको प्रवतिनी अपनी प्रभावपूर्ण वाणी द्वारा जन-जन को पद पर ससम्मान प्रतिष्ठित करने के आयोजन करने जाग्रत किया। जीवाणा श्री संघ पर उनका अनन्य का मंगलमय अवसर प्राप्त हुआ । अतः जोधपुर उपकार है । गुरुदेव से हार्दिक प्रार्थना है कि साध्वी समुदाय के लिए यह ऐतिहासिक आयोजन आपके जी को सुदीर्घ आरोग्यमय बनायें। गौरव के साथ चिरस्मरणीय रहेगा। इसी प्रसंग में यह भी उल्लेखित करना उचित रहेगा कि स्व० ॥ श्रीसंघ झुंझनू प्रवर्तिनी पूज्या श्री विलक्षणश्रीजी महाराज प्रवर्तिनी श्री सज्जनश्रीजी महाराज साहब साहिबा की वृहद् दीक्षा का आयोजन करने का ने झुंझनु नगर में अपनी गुरुवर्या श्री उपयोगश्री जी भी पूर्व में जोधपुर समाज को स्वर्णिम अवसर प्राप्त महाराज साहब के सान्निध्य में सं० २००६ में विराहो चुका है जिन्होंने सम्पूर्ण भारत में अपना विशिष्ट जित रहकर चातुर्मास सम्पन्न किया। चातुर्मास Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012028
Book TitleSajjanshreeji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashiprabhashreeji
PublisherJain Shwetambar Khartar Gacch Jaipur
Publication Year1989
Total Pages610
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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