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________________ सर्वतोमुखी व्यक्तित्व धार्मिक-शिक्षण-शिविर, प्रश्न मंच, निबंध, भाषण, गायन आदि का भी आयोजन किया गया। धार्मिक पाठशाला ४ माह तक निरंतर गतिशील रही जिसमें लगभग ५०-६० बालक-बालिकाओं ने धार्मिक ज्ञान ग्रहण किया। वर्षावास काल में पूज्य गुरुदेव श्री के चरणों में अनेक शहरों के संघ दर्शनार्थ पधारे। सन् १६६८ के चातुर्मास की विनती लेकर इरोड़, रायचूर, विलीपुरम्, वानीयम्बाड़ी, साहूकार पेठ, मद्रास, नेहरू बाजार, अयनावरम्, बैंगलोर से चिकपेट, श्री रामपुर, जयनगर आदि के श्री संघ एवं संघाधिपति पधारे। पूज्य गुरुदेव श्री ने सभी संघों को आश्वस्त किया एवं यथासमय चातुर्मास निर्णय की बात कही। परम श्रद्धेय गुरुदेव श्री जी की ४८वीं दीक्षा जयंती तप-त्याग के साथ मनाई गई। विशाल जन मेदिनी के मध्य श्री हनुमानचंद जी नाहर ने ४८००० रुपए शुभ कार्यों में लगाने की घोषणा की। दिनांक १५-११-६७ को चातुर्मास विदाई की वेला आ गई। श्रावक-श्रविकाओं के भारी समुदाय ने साश्रु आपको विदाई दी, पुनरागमन के लिए। स्थानीय श्रद्धालुओं ने अश्रुपूरित नेत्रों से विदाई भाषण, विदाई गीत प्रस्तुत किए। उपकारों से उपकृत इन लोगों ने कहा – गुरुदेव ! आपको विदा करने का मानस तो नहीं हो रहा है तथापि साधु-मर्यादा के कारण हम दुराग्रह भी नहीं अपना सकते । गुरुदेव को तो विहार करना ही था। गुरुदेव ने विदाई के प्रत्युत्तर में कहा - मैंने छोटे-बड़े संघ को महत्त्व न देते हुए ही यहां वर्षावास करने का मानस बनाया। इस परख में यहां का संघ खरा उतरा। जिस प्रेम और भक्ति से आपने हमारी सेवा की वैसी ही आगत साधु-साध्वियों के प्रति भी सेवा भाव का लक्ष्य रखें। प्रतिवर्ष संत-सतियों का वर्षावास सुलभ नहीं है इसलिए आप अपने प्रयत्नानुसार प्रतिदिन सामायिक, प्रार्थना आदि धर्म जागरण करने करवाने का अवश्य ही लक्ष्य रखें। रविवार के दिन सामूहिक प्रार्थना भी करें ताकि युवा एवं बालवर्ग में संस्कार बने रहें। ____ तदनंतर जयघोषों के गगनभेदी नारों के साथ गुरुदेव श्री ने जनमेदिनी के साथ जैन भवन से प्रस्थान कर दिया। विश्राम गृह उद्घाटन इस वर्षावास में एक और महत्त्वपूर्ण कार्य सम्पन्न हुआ। मेटुपालियम से ऊटी के राजमार्ग पर सन्त-सतियों के ठहरने का अनुकूल स्थान पर विश्राम-गृह' बनाने की प्रेरणा गुरुदेव प्रवर्तक श्री रूपचंद जी म. ने दी थी। उन्हीं की प्रेरणा से 'बरलियार' में "श्री मरुधर केसरी जैन विश्रामगृह” का निर्माण कार्य सम्पन्न हुआ। उसी नवनिर्मित विश्रामगृह का २२-११-६७ को श्रीमान शोभाचंद जी कोठारी ऊटी के कर कमलों द्वारा उद्घाटन हुआ। सान्निध्य प्राप्त था-पूज्य गुरुदेव श्री ठाणा २ का। दिनांक २३-११-६७ को आप श्री के सान्निध्य में स्व. युवाचार्य श्री मधुकर मुनि जी म. का स्मृति दिवस त्याग और तप के साथ मनाया गया। मेटुपालियम का यशस्वी चातुर्मास सम्पन्न कर आप श्री कोयम्बतूर पधारे। साईं बाबा कालोनी में श्री मदन लाल जी छाजेड़ के यहां दो दिन ठहरे। तदनंतर वहां से भावना अपार्टमेंट में श्री हेमराज जी सोलंकी के फ्लेट में १०५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012027
Book TitleSumanmuni Padmamaharshi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadreshkumar Jain
PublisherSumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
Publication Year1999
Total Pages690
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size24 MB
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