________________
साधना का महायात्री : श्री सुमन मुनि
वहां कुछ दिन विराजने के पश्चात् बैंगलोर के कई १० वर्ष के लम्बे अन्तराल के बाद मेटुपालयम नगर उपनगरों को स्पर्शते हुए आप श्री शिवाजी नगर...गुरु में यह वर्षावास हो रहा था। श्री संघ ने पलक पांवड़े गणेश बाग में पधारे ! यहीं पर आपने होली चातुर्मास बिछाकर आपका स्वागत किया। सम्पन्न किया। इस अवसर पर ट्रीपलीकेन, श्रीरामपुर,
चातुर्मास प्रवेश से लगातार दर्शनार्थी बन्धुओं का नेहरू बाजार, साहूकार पेठ मद्रास, मेटुपालयम, आदि श्री
आगमन जारी रहा । गुरुदेव श्री के शानदार एवं ओजस्वी संघ चातुर्मास की विनितयों के साथ आपके श्रीचरणों में
प्रवचनों के प्रभाव से अनेक रचनात्मक कार्यक्रम होने उपस्थित हुए। आप श्री ने मेट्टपालयम श्री संघ को द्रव्य,
लगे। निरंतर आयंबिल तप प्रारंभ हुआ। ८, ११, १५, क्षेत्र, काल, भाव को देखते हुए चातुर्मास की स्वीकृति
३१, ३४ की तपश्चर्याएं हुईं। श्रीमती मोहनदेवी दुग्गड़ प्रदान की।
ने ८-८-६७ को मासखमण के प्रत्याख्यान गुरुदेव श्री के मेटुपालयम वर्षावास
मुखारविन्द से ग्रहण किए। __ महावीर का मुनि यायावर होता है। उसके कदम अनेकों वंदनीय महापुरुषों - आचार्य श्री आनन्द यात्रायित रहते हैं। गांव-गांव, नगर-नगर जागरण का ऋषि जी म. उपाध्याय प्रवर श्री केवल मुनिजी म., श्रमण अलख जगाता हुआ वह निरंतर चलता रहता है। सूर्य, मरुधर केशरी श्री मिश्री मल जी म., आचार्य श्री महावीर के मुनि पूज्य वर्य श्रद्धेय चरितनायक श्री
जयमल्ल जी म., आचार्य श्री आत्माराम जी म., पंजाब सुमन मुनि जी महाराज गणेश बाग बैंगलोर से यात्रायित
प्रवर्तक श्री शुक्लचंद जी म., कर्नाटक केसरी श्री गणेशीलाल हुए। महामुनि फ्रेजर टाउन, शूले (अशोकनगर होते हुए)
जी म., जैन दिवाकर श्री चौथमल जी म., धर्मप्राण वीर के.जी.एफ. दोड्बालापुर, आदि मध्यवर्ती ग्रामों-नगरों को
लोकाशाह आदि की जन्म जयन्तियाँ विशाल जनमेदिनी स्पर्शते हुए चिकपेट पधारे जहां पर तपस्वी श्री सहज ।
के मध्य तप-त्याग-दान की उत्कृष्ट भावना के साथ मनाई मुनिजी म. एवं श्री राममुनि जी म. विराजमान थे। तपस्वीराज के तप की साता पृच्छा की। वहां से पुनः मैसूर पधारे । चातुर्मास के मध्य “श्रमणसूर्य मरुधर केसरी जैन मैसूर विद्यापीठ आपकी प्रेरणा का प्राणवायु पाकर
मानव सेवा ट्रस्ट" की घोषणा श्री भंवरलाल जी नवरतन धन्य हुआ। वहां से निंजनगुड़, गुंडलपेठ होते हुए वंडीपुर
मल जी सांखला द्वारा की गई जिसमें उन्होंने एक लाख कलहटी घाट को स्पर्श किया। वहां से ऊटी पधारे।।
सात हजार रुपए की राशि प्रदान की। साथ ही साथ नेत्र ऊटी से कुन्नूर, बरलियार आदि क्षेत्रों को पावन करते हुए चिकित्सा शिविर भी लगाया गया। स्कूली-ड्रेस, व्हीलचेयर, मेटुपालियम चातुर्मासार्थ पधारे। मार्ग के क्षेत्रों में अत्यन्त कृत्रिम पांव, श्रवण यंत्र, सिलाई मशीनें आदि प्रदान कर धर्म स्नेह पाया गया। महामुनि जिस क्षेत्र में पधारे वहां के । जरूरतमंदों को आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराकर मानवआबालवृद्ध ने पलक पांवड़े बिछाकर उनका स्वागत किया। सेवा के कार्य भी किए गए।
गई।
१०४
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org