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________________ साधना का महायात्री : श्री सुमन मुनि पधारे। सार्वजनिक प्रवचन हुआ। सार्वजनिक प्रवचन में बीज पल्लवित और पुष्पित हुआ। भवन बनकर तैयार साध्वी श्री अनिला बाई महासती जी भी पधारी। हुआ। आप श्री ने अवलोकन कर संघ के कार्यों के प्रति उसी दिन शहर में दो सिपाहियों की हत्या हो जाने संतोष भाव प्रकट किया। के कारण हिंदू-मुस्लिम दंगा शुरू हो गया। दुकानें लूट ली त्रिपुर से विहार कर सेलम पधारे। शंकर नगर के गई तथा आग लगा दी गई। बड़ा ही वीभत्स दृश्य जैन स्थानक में १० दिवस विराजना हुआ। प्रार्थना व्याख्यान उपस्थित हो गया। सप्ताहांत तक बाजार बन्द रहे। का खूब ठाट रहा।। वहां से प्रस्थित हो आप श्री महावीर कालोनी में श्री यहाँ साहूकार पेठ संघ (मद्रास) के वरिष्ठ पदाधिकारी इन्द्रकुमार जी कीर्तिकुमार जी गादिया के यहाँ पधारे। गण आगामी वर्षावास की विनती लेकर पुनः आए। एक सप्ताह तक यहां प्रार्थना, प्रवचन आदि नियमित होते होली चातुर्मास पर गुरुदेव श्री ने विधिवत घोषणा करने रहे। आप श्री जी एवं महासती जी की सन्निधि में दिनांक की भावना संघ के समक्ष प्रगट की। साथ ही साथ यह २४-१२-६७ से १ जनवरी १६६८ तक तेरहवां स्थानीय संकेत दिया कि फिर आने की आपको आवश्यकता नहीं धार्मिक शिक्षण शिविर भी आयोजित हुआ। अनेक बालक- है। आचार्य श्री की आज्ञा प्राप्त हो ही गई है। अतः बालिकाओं ने इस शिविर में ज्ञानार्जन किया। उक्त अवसर पर चातुर्मास की विधिवत् घोषणा कर दी पुनः बैंगलोर की ओर जाएगी। यहाँ बैंगलोर महासंघ के वरिष्ठ पदाधिकारी यह सेलम से विहार कर धर्मपुरी, कृष्ण गिरि होते हुए विनती लेकर उपस्थित हुए कि तपस्वी श्री सहज मुनि जी होसूर पधारे। यहां से बैंगलोर हेतु प्रस्थान किया। बैंगलोर महाराज के बृहद तपश्चरण की संपूर्ति की बेला पर आप के सन्निकट पदार्पण हुआ तो श्रीयुत जोधराज जी सुराणा श्री जी अवश्य ही बैंगलोर पधारें। वे अपने साथ तपाचार्य के धर्मप्रेमी पुत्र श्री वसंतकुमारजी की फैक्ट्री में आप श्री जी का पत्र भी लेकर आए थे जो आपके करकमलों ठहरे। यहाँ बैंगलोर के धर्मप्रेमियों का भारी तांता लगा में प्रदान किया। इससे पूर्व भी ये पदाधिकारी उपर्युक्त रहा। द्वितीय दिन श्री सिरेहमलजी मरलेचा की फैक्ट्री में विनती एवं आग्रह लेकर मेटुपालियम पधारे थे। विनती आहारादि ग्रहण कर कोरमंगला जम्मू वाले जैन साहब के स्वीकृत हुई। यथासमय बैंगलोर आने का गुरुदेव श्री ने । यहाँ मध्याह्न का समय व्यतीत किया। तत्पश्चात् सांय श्री पदाधिकारियों को आश्वासन दिया। हीरालाल जी जैन (पंजाबी) के यहाँ पधारे। यहाँ श्री राममुनि जी 'निर्भय' आप श्री की अगवानी करने पधारे । कोयम्बतूर से पूज्य गुरुदेव श्री का बैंगलोर दिशा की यहां से विहार कर आप श्री गणेश बाग-शिवाजी नगर में ओर विहार प्रारंभ हुआ। विहार करते हुए त्रिपुर पधारे । पधार गए जहां तपाचार्य श्री सहज मुनि जी महाराज त्रिपुर में जैन-स्थानक बनाने की प्रेरणा आप श्री ने ही दी तपश्चरण कर रहे थे। थी और मेटुपालियम वर्षावास के दौरान वहां संघ की स्थापना भी आप श्री की प्रेरणा से ही हुई थी। प्रेरणा का प्रार्थना, व्याख्यान प्रतिदिन होने लगे। लगभग दो १०६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012027
Book TitleSumanmuni Padmamaharshi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadreshkumar Jain
PublisherSumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
Publication Year1999
Total Pages690
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size24 MB
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