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________________ सर्वतोमुखी व्यक्तित्व समापन समारोहः काल में श्रीसंघ के किसी भी सदस्य द्वारा हुई किसी भी समापन समारोह दोपहर २.३० से ४.३० बजे तक त्रुटि के लिए क्षमायाचना करते हुए गुरुदेव के लिए मंगल संपन्न हुआ। सर्वप्रथम मंगलाचरण श्रमण संघीय सलाहकार । कामना प्रेषित की। मन्त्री श्री सुमन कुमार जी महाराज के मुखारविन्द से संपन्न चातुर्मास काल में मासखामण या इससे अधिक तप हुआ । मंगलाचरण के पश्चात् समापन समारोह की अध्यक्षता आराधना करने वाले ३१ उपवास की तपस्वी श्रीमती पी. श्री एस. किशनचन्द जी चोरड़िया (महामन्त्री, जैन-धर्म प्रभादेवी लोढ़ा (धर्म-पली श्री पूरणमल जी लोढा) ३१ शोध संस्थान चेन्नई ने की। प्राकृत भाषा स्वाध्याय पीठ उपवास की तपस्वी श्रीमती गुणवंती बाई सकलेचा (धर्मबेंगलोर के विद्यार्थियों ने संवाद प्रस्तुत किया। सम्मेलन पत्नी श्रीमान पी. महावीर चन्द जी सकलेचा) ३५ उपवास की सफलता और मैसूर श्री संघ की मेहनत की सराहना की तपस्वी श्रीमती शायरदेवी चौहान (धर्म-पत्नी श्री मदनसिंह करते हुए श्रीमान् शान्तिलाल जी वनमाली सेठ ने संतोष जी चौहान) को श्री संघ की ओर से तप अभिनन्दन पत्र प्रकट किया एवं श्री संघ की प्रशंसा करते हुए संघ भेंटकर सम्मानित किया गया। अध्यक्ष श्री ए. केवलचन्द जी सिंघवी और मानद् मन्त्री चातुर्मास काल में परीक्षाओं एवं प्रतियोगिताओं में श्री वी.ए. कैलाशचन्द जैन का चन्दनहार और शाल द्वारा भाग लेकर सफलता पाने वालों को प्रमाण-पत्र दिए गए। सन्मान सत्कार किया। सभी विद्वानों को संघ की तरफ से निबन्ध लेखन प्रतियोगिता के निर्णायक, गायन प्रतियोगिता चन्दन हार और शाल ओढाकर एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर के निर्णायक, प्राकृत-भाषा-जैन विद्वद् सम्मेलन के आयोजक, गौरवान्वित किया गया। अन्नदान, वस्त्र-दान, औषधी-दान, हृदय-शल्य-चिकित्सा, इस तरह मैसूर में प्राकृत भाषा जैन विद्वद् सम्मेलन रक्त-जांच-शिविर, एक्यूप्रेसर-चिकित्सा, धार्मिक शिक्षण एक यादगार सम्मेलन हुआ। जिसे मैसूर के इतिहास में संस्कार शिविर एवं विभिन्न जयन्तियां मनाई गई जिनमें दिनांक २६-१-१६६७ को स्वर्णाक्षरित किया जाना निश्चित । प्रत्यक्ष या परोक्ष सहयोग देने वालों का आभार अभिव्यक्त हुआ। समापन समारोह का संचालन संघ मन्त्री श्री बी.ए. किया गया। समय-समय पर पधारने वाले समस्त लोककैलाशचन्द जैन ने किया। मुनि श्री द्वारा मंगलपाठ के सभा सदस्य, विश्वविद्यालयों के विद्वद्गण, नगर के मान्यगण साथ समारोह सानन्द संपन्न हुआ। महापौर आदि एवं पत्रकार आदि सभी को श्री संघ की ओर से धन्यवाद दिया गया। चातुर्मास समापन समारोहः दिनांक २५-११-१६६६ को लोकाशाह की जन्म दिनांक २४-११-१६६६ को चातुर्मास समापन समारोह जयन्ति जप-तप-त्याग गुणानुवाद से मनाई गई। एवं संपन्न हुआ। संघ मन्त्री श्री बी.ए. कैलाशचन्द जैन ने बैंगलोर से पधारी विरक्तात्मा वैराग्यवती श्री सनीता संघ की ओर से चातुर्मास की सफलता, विभिन्न कार्यक्रमों बांठीया (बेलापुर निवासी) वैराग्यवती वन्दना कर्नावट की सफलता, प्राकृत भाषा एवं विद्वद् सम्मेलन के ऐतिहासिक (मालेगांव निवासी) की दिनांक २०-२-१६६७ को होने कार्य की संपन्नता पर प्रकाश डाला एवं मुनिवृंद से चातुर्मास वाली जैन भागवती दीक्षा के पूर्व श्री संघ द्वारा खोल १०१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012027
Book TitleSumanmuni Padmamaharshi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadreshkumar Jain
PublisherSumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
Publication Year1999
Total Pages690
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size24 MB
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