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________________ साधना का महायात्री : श्री सुमन मुनि मूल भाषा प्राकृत अवश्य सीखनी चाहिए। स्वयं प्राकृत खुला अधिवेशनःके प्रकांड विद्वान मुनि श्री सुमन कुमार जी महाराज ने श्री रात्री साढ़े सात से साढ़े नो बजे तक विद्वानों एवं संघ को इस ओर प्रेरित किया और प्राकृत भाषा के विद्वानों का सम्मेलन आहूत किया जिसे क्रियान्वित रूप समाज के बंधुओं का खुला अधिवेशन रहा। जिसमें शिक्षित युवा वर्ग ने प्रदान किया अनेक विश्वविद्यालयों से प्राकृत भाषा एवं जैन दर्शन पर चर्चा हुई। श्रोताओं की संपर्क स्थापित कर, समाज के बुद्धिजीवियों से एवं कर्मठ जिज्ञासा का विद्वानों द्वारा समाधान हुआ। मुनिश्री जी ने कार्यकर्ताओं से संपर्क बनाकर प्राकृत भाषा पर लेख । __ भी जटिल प्रश्नों का सरल ढंग से विवेचन किया। आमंत्रित किए गए एवं विद्वद् जन बुलाए गए। तृतीय सत्रःप्रथम सत्र: दिनांक १७-११-१९६६ को सुबह ६ बजे से ११ प्रथम सत्र दिनांक १६-११-१६६६ को प्रातः ११ बजे तक तीसरा सत्र संपन्न हुआ, जिसकी अध्यक्षता बजे से दोपहर एक बजे तक श्री दुलीचन्द जैन (मन्त्री- श्रीमान शांतिलाल जी वनमाली सेठ (संस्थापक एवं जैन धर्म-दर्शन शोध संस्थान, चेन्नई) की अध्यक्षता में व्यवस्थापक, सन्मति स्वाध्याय पीठ, बेंगलोर) ने की। संपन्न हुआ। इस सत्र में “भारतीय संस्कृति और साहित्य इस सत्र में “प्राकृत अध्ययन विकास हेतु रचनात्मक में प्राकृत भाषा का योगदान" विषय पर विचार गोष्ठी कार्यक्रम” विषय पर चर्चा हुई। इस सत्र के मुख्य वक्ता संपन्न हुई। मुख्य वक्ता डॉ. एस.पी. पाटील, धारवाड़ डॉ. पी.बी. बडीगेर जी रहे। चर्चा गोष्ठी में डा. बी.बी. रहे। गोष्ठी में प्रोफेसर डॉ. के.बी. अर्चक (धारवाड़) डॉ. भागरे (सातारा) डॉ. एन. सुरेशकुमार जी जैन (मैसूर) डॉ. सरस्वती विजयकुमार (मसूर) डा. पारसमणी खिंचा (जयपुर) एस.बी. वसंतराजैय्या जी (बैंगलोर) श्री विमल चन्दजी डा.बी.एन. सुमित्राबाई (बंगलोर) ने भाग लिया। प्रथम धारीवाल (बेंगलोर) ने भाग लिया। इसका संचालन श्री सत्र का संचालन श्री महावीर चन्दजी कोठारी ने किया। महावीर चन्द जी दरला ने किया। द्वितीय सत्रः चतुर्थ सत्रःद्वितीय सत्र दोपहर २.३० से ४.३० बजे तक डॉ. चतुर्थ सत्र ११.३० से १.३० बजे तक संपन्न श्री ए.एस. धरणेंद्राय्या जी (निवृत अध्यक्ष, मनोविज्ञान हुआ, जिसकी अध्यक्षता श्री भागचन्द जी जैन “भास्कर" विभाग, कर्नाटक विश्वविद्यालय, धारवाड़) की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। इस सत्र में “विश्व शान्ति एवं विश्व मैत्री (अध्यक्ष, प्राकृत पाली विभाग, नागपूर विश्वविद्यालय) में जैन धर्म दर्शन का योगदान” विषय पर विचार गोष्ठी ने की। इस सत्र का विषय “जैन-दर्शन-शिक्षण-विकास संपन्न हुई। मुख्य वक्ता डॉ. एम.ए. जयचन्द्रा (बेंगलोर) हेतु रचनात्मक कार्यक्रम” रहा। इस सत्र के मुख्य वक्ता रहे। चर्चा गोष्ठी में श्री ज्ञानराज जी मेहता (बेंगलोर) डा. __ श्री शुभचन्द्रा जी जैन (मैसूर) रहे। चर्चा गोष्ठी में श्री एस.पी. पाटील (धारवाड़) श्री किशन चन्द जी चोरडिया दुलीचन्द जी जैन (चेन्नई) डा. अजय कोठारी (चेन्नई) (चेन्नई) डा. एन. वासपाल जैन (चेन्नई) शामिल हए। श्री मती प्रिया जैन (चेन्नई) डा. हुक्मचन्द जी एवं पार्श्वनाथ द्वितीय सत्र का संचालन श्री महावीर चन्द जी भंसाली ने सांघवे ने भाग लिया। इस सत्र का संचालन श्री एच. किया। प्रकाशचन्दजी डागा ने किया। १०० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012027
Book TitleSumanmuni Padmamaharshi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadreshkumar Jain
PublisherSumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
Publication Year1999
Total Pages690
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size24 MB
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