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________________ साधना का महायात्री : श्री सुमन मुनि स्थानक है। श्री माणकचन्द जी सिंघवी एवं श्री पारस मल विदायगी जी हुक्मीचन्दजी बम्ब प्रमुख हैं, सेवा भावी हैं। आरणी से यशस्वी वर्षावास को सानंद सम्पन्न करके परमश्रद्धेय पलीगुण्डा होते हुए मादनूर होते हुए आम्बूर आए। यहाँ श्री ने विदाई की वेला में वहाँ से विहार किया तो आबाल ८-१० घर हैं, जैन भवन है, स्थानक है अच्छी भक्तिभावना वृद्ध सभी भारी हृदय के साथ विदा देने पहुंचे। पुनः है। आम्बूर से १८ किलोमीटर वानियमबाड़ी चातुर्मास विचरण प्रारम्भ हुआ। हेतु पहुंचे। वानियमबाड़ी से विहार करके तिरपातूर गए वहाँ वर्षावास की गतिविधियाँ जैन भवन में ठहरे। दैनिक धार्मिक कार्यक्रम सुचारु रूप से होते रहे तथा स्थानक के लिए प्रेरणा दी। स्थानक की ६७-६२ की पावन वेला में श्री एस.एस. जैन संघ मूल प्रेरणा खंभात सम्प्रदाय के श्री कमलेश मुनि जी म. ने वानियमबाड़ी (तमिलनाडु) के लिए कि जिस दिन वर्षावासार्थ कई वर्षों पूर्व दी थी। मुनि श्री ने उसे फिर से पुनर्जीवित परम श्रद्धेय श्री के पावन चरण कमलों ने उस धरती को किया। जितनी धनराशि पहले लिखी गई थी उसे दुगुणा स्पर्श किया। विधिवत् धर्म क्रियाएँ आरम्भ हुई। इस कराया। साथ ही उन्होंने स्थानक के लिए अन्य तरीकों से चातुर्मास के भी विशेष आकर्षण वही रहे जो पिछले धन एकत्रित करने की योजना बनाई और अंततः स्थानक चातुर्मासों के थे। के लिए जमीन खरीद ली गई। ___इस चातुर्मास में अनेक युवतियों ने प्रतिक्रमण, स्तोत्रपाठ तिरपातूर से पुनः वानियमबाड़ी आए। वहाँ छ दिसम्बर एवं बच्चों ने सामायिक पाठों का अभ्यास किया। मुनि को बाबरी मस्जिद तोड़ने के कारण भारी हिन्दु-मुस्लिम श्री स्वयं भी तथा शिष्य भी निरन्तर प्रयास रत रहते। झगड़ा हुआ। कई दुकानें लूटी गई तथा कईयों को साथ भाषण-लेखन-गीत आदि, प्रश्नमंच, परीक्षाओं का जलाया गया। कारणवश यहाँ कुछ समय ठहरना पड़ा। आयोजन होता रहा। वातावरण शान्त होने के बाद आम्बूर की ओर विहार आचार्य श्री आनंदऋषिजी म.सा. की जन्म जयन्ति किया। ३० जुलाई गुरूवार १२ अगस्त को बुधवार के दिन आम्बूर में भगवान पार्श्वनाथ जयन्ति मनायी गई। मरुधर केसरी श्री मिश्रीमल जी म. की १०२वी जन्म अनेक निकटवर्ती संघों ने इस महोत्सव में भाग लिया। जयन्ति, जय-आत्म-शुक्ल जयन्ति का त्रय जयन्ति महोत्सव । उस मौके पर अन्य संघों के साथ माम्बलम श्री संघ भी जैन भादों शुक्ला द्वादशी एवं तेरस के दिन तप त्याग पूर्वक । स्थानक के उद्घाटन की विनती के लिए उपस्थित हुआ । मनाया गया। महाराज श्री ने गुडियातम पहुंचकर स्वीकृति प्रदान की। गुडियातम में मरुधर केसरी जी म. की पुण्य तिथि मनाई ___ पर्युषण भी सानन्द सम्पन्न हुए। आप श्री का दीक्षा गई। साध्वी श्री भानुबाई जी म. भी उपस्थित हुई। दिवस भी श्री संघ द्वारा विविध प्रतियोगिताओं एवं धर्माचरण गुडियातम में नेहरू बाजार एवं टी.नगर श्री संघ चातुर्मासार्थ के द्वारा मनाया गया। इसी चातुर्मास में शुक्ल प्रवचन । विनती के लिए आए। नेहरू बाजार वालों को कहा गया भाग-२ एवं वृहदालोयणा (द्वितीय संस्करण) का प्रकाशन- कि साहूकारपेठ मिन्ट स्ट्रीट में प्रवर्तनी साध्वी प्रमोध सुधा विमोचन हुआ। जी म. ठाणे १६ का चातुर्मास स्वीकृत है। आपका ८६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012027
Book TitleSumanmuni Padmamaharshi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadreshkumar Jain
PublisherSumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
Publication Year1999
Total Pages690
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size24 MB
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