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________________ सर्वतोमुखी व्यक्तित्व मंत्री पदों की फिर भी ऐसा हुआ नहीं तथापि कोई बात सलाहकार मंत्री मुनिवर वहीं रहे। होली चातुर्मास वहीं नहीं, अब मेरा प्रयास रहेगा कि शीघ्रातिशीघ्र पदों की सम्पन्न हुआ। इस प्रसंग पर बोलाराम संघ के प्रतिनिधिगण घोषणा हो।” पधारें एवं आगामी वर्षावास की विनति की। आचार्य श्री ने इस प्रसंग पर मुनि श्री को 'बहुश्रुत' मुनी श्री का आश्वासन पाकर बोलाराम संघ पुनः की उपाधि से अलंकृत करना चाहा तो मुनि श्री ने । प्रस्थित हुआ। औरंगाबाद के उपनगर आनंद एपार्टमेंट में कहा उपाचार्य श्री देवेन्द्रमुनिजी म. की ४८वीं दीक्षा-जयन्ति “आचार्यवर्य ! मैं इस पद के योग्य नहीं हूँ और सानंद मनाई गई। बिना प्रसंग के कोई पद देना उचित भी नहीं है। प्रबल ___ वहाँ से परम श्रद्धेय श्री का विहार जालना की ओर इच्छा ही है आपकी तो आप अपने जीवन के किसी हुआ। कर्नाटक गज केसरी श्री गणेशलाल जी म. की विशिष्ट प्रसंग पर ही इसकी विधिवत् घोषणा करावें।" महाप्रयाण भूमि “श्री गुरु गणेश गौशाला" में आप पधारे; इसके बाद श्रीमान् पुखराज जी लूंकड़ - अध्यक्ष श्री धर्मध्यान का दैनिक कार्यक्रम सुचारू रूप से सम्पन्न होने अ.भा.श्वे.स्था. जैन कान्फ्रेन्स अनायास ही वहाँ पधारे लगा। श्री संघ के अत्यधिक आग्रह के कारण सार्वजनिक और उपाचार्य श्री का पत्र आचार्यश्री को प्रदान किया। रात्रि व्याख्यान भी नियमित आयोजित किए गए। महावीरतदनंतर आचार्य श्री का पत्र लेकर पुनः उपाचार्य श्री के जयन्ति का कार्यक्रम भी जालना में ही सम्पन हुआ। पास पहुँचे एवं उपाचार्य श्री को मंत्री पद की घोषणा इन्हीं दिनों जालंधर शहर के धर्मबंधु आचार्य श्री के करने की आधिकारिक स्वीकृति प्रदान की, आचार्य श्री दर्शनार्थ पधारे तो अपने पंजाब के संतों की प्रियझलक की ओर से ! पाने के लिए वे जालना भी आ पहुंचे। अहमदनगर से विहार तदनंतर परभणी होते हुए नान्देड़ पधारे – मुनिवर .. श्री ! यहाँ बोलाराम संघ पनः आगामी वर्षावास की ___ श्रद्धेय मुनि श्री सुमनकुमार जी म. ने आचार्य श्री का विनति लेकर मुनि श्री के चरणों में उपस्थित हुआ। वरहस्त एवं आशीर्वाद प्राप्त कर अहमदनगर से विहार नान्देड़ से निजामाबाद पधारे। मुनिश्री जी का अब आन्ध्रप्रदेश किया एवं अन्यान्य छोटे-बड़े क्षेत्रों को फरसते हुए औरंगाबाद में विचरण होने लगा। महाराष्ट्र की भूमि पर केवल उनके पधारे ! मुनि-समागम हुआ। चतुर्विधि संघ को अपार चरण चिह्न ही रह गये। प्रसन्नता हुई। वहीं मंत्री पदों की आधिकारिक घोषणा की उपाचार्य श्री ने अपने मुखारविन्द से। खुशी में और आन्ध्रप्रदेश में खुशी का आलम छा गया। निजामाबाद से कामारेड्डी पधारे, सिकन्दराबाद का औरंगाबाद में श्रद्धेय मुनिवर की एक मासकल्प श्री संघ आगामी चातुर्मास की विनति लेकर पुनः उपस्थित स्थिरता रही। दैनिक धार्मिक कार्यक्रम सानंद सम्पन्न होते । हुआ। सिकन्दराबाद संघ युवाचार्य श्री एवं सलाहकार रहे। रात्रि प्रवचन भी हुए। मंत्री जी म. का संयुक्त चातुर्मास कराना चाह रहा था। किंतु मुनिवर ने संयुक्त चातुर्मास की बात को अस्वीकार जालना की ओर करते हुए संघ को बताया कि जब दो क्षेत्रों में लाभ मिल उपाचार्य श्री ने जालना की ओर विहार किया एवं सकता है फिर संयुक्त चातुर्मास क्यों ? ७१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012027
Book TitleSumanmuni Padmamaharshi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadreshkumar Jain
PublisherSumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
Publication Year1999
Total Pages690
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size24 MB
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