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सर्वतोमुखी व्यक्तित्व
उपाध्याय पद का विवाद वर्षावास में भी पूर्वगति से सब्जीमण्डी, शक्तिनगर आदि क्षेत्रों को स्पर्शते हुए वीरनगर चलता रहा।
पधारे। वहां से कुण्डली, खेवड़ा, पिपली खेड़ा, गन्नौर, आचार्य श्री आनन्द ऋषि जी म. ने कान्फ्रेंस के पांच
समालखा, घरोंडा, करनाल, तरावड़ी, नीलोखेडी, कुरुक्षेत्र, सदस्यों-श्री हस्तीमल मुणोत, निर्मल जैन आडिटर-रिपोर्टर,
शाहबाद, मारकण्डा होते हुए जमुनानगर पधारे। वहां से मेहता जी (इन्दौर) चांदमल चौपड़ा व्यावर, एक गुजराती
आप श्री अम्बाला पधारे। श्रावक का एक डेपुटेशन पंजाब की स्थिति समीक्षा के अम्बाला से बनूड़, खरड़, कुराली, रोपड़ आदि क्षेत्रों लिए भेजा। मुख्य मुनिराजों के पास होता हुआ यह
में धर्मगंगा प्रवाहित करते हुए बलाचौर पधारे। यहां पर डेपुटेशन आप श्री के चरणों में पहुंचा। आपसे विचार
उपाध्याय श्री जी से आपका पुनर्मिलन हुआ। यहां पर विमर्श करके यह डेपुटेशन आचार्य श्री के पास पहुंचा
यहीं के श्रावक श्री सरदारी लाल जैन की पुत्री महासती और पंजाब की स्थिति की आधी अधूरी रिपोर्ट आचार्य
श्री मीना जी म. की निश्राय में दीक्षित हो रही थी। सो श्री के समक्ष रखी।
दीक्षा समारोह सानन्द सम्पन्न हुआ। इस रिपोर्ट के बाद आचार्य श्री ने उपाध्याय पद को
दीक्षा सम्पन्न कर आप श्री उपाध्याय प्रवर श्री जी के निरस्त कर दिया। इस सम्बन्ध में अधिसूचना जारी कर
साथ नवांशहर होते हुए होशियारपुर पधारे। यहां पर दी गई।
पूज्य प्रवर पं. रन प्रवर्तक श्री शुक्ल चन्दजी म. की पुण्य
तिथि त्यागतप और धर्मप्रभावना के साथ मनाई गई। श्रद्धेय चरितनायक ने इस निरस्तिकरण का विरोध
उपाध्याय पद विवाद अभी यथावत चल रहा था। किया और इस संदर्भ की सूचना द्रुतगति से आचार्य श्री
श्री जे.डी. जैन के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मण्डल यहां को पहुंचा दी गई।
आपके पास आया। पर कोई निर्णय न हो सका। यहां से उपाध्याय पद का विवाद चरम पर पहुंच
होशियारपुर से आप श्री उपाध्याय जी के साथ ही गया। फलतः आपने तथा उपाध्याय पद के समर्थक
विचरण करते हुए आदमपुर होते हुए जालंधर शहर मुनियों तथा साध्वियों ने श्रमण संघ से त्याग पत्र दे दिया
पधारे। जालंधर से उपाध्याय श्री ने लुधियाना तथा आप तथा “आचार्य अमरसिंह जैन श्रमण संघ" का गठन किया
श्री ने पटियाला की दिशा में विहार किया। गया। इस संघ के प्रमुख बने श्री रत्नमुनि जी म.। श्री मनोहर मुनि जी को उपाध्याय तथा आपको मंत्री पद पर ___ पटियाला वर्षावास नियुक्त किया गया।
___आप श्री ने वर्ष १६८४ का वर्षावास पटियाला का वर्षावास की समाप्ति पर श्रद्धेय चिरतनायक खेकड़ा,
स्वीकार किया था । सो जालंधर से आप पटियाला पधारे। लोनी होते हुए राजधानी दिल्ली में पधारे। शाहदरा होते आपने उपाश्रय में वर्षावास किया। हुए चान्दनी चौक दिल्ली आये। यहां पर सेवाभावी श्री वर्षावास में पर्याप्त धर्मध्यान हुआ। पर्युषण के पर्व प्रेमसुख जी म., श्री रवीन्द्र मुनिजी म. आदि मुनिराजों से त्याग तथा तपाराधना के साथ मनाए गए। मंगल मिलन हुआ।
यहां लाइब्रेरी में प्राचीन हस्तलिखित शास्त्र तथा पन्ने चान्दनीचौक से सदर बाजार, कोल्हापुर रोड़, रखे हुए थे जिनको आपने सुव्यवस्थित किया।
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