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साधना का महायात्री श्री सुमन मुनि
हुआ।
पटियाला जैन धर्म की दृष्टि से एक ऐतिहासिक नगर की दीक्षा सम्पन्न हुई। यह कार्तिक सुदि पूर्णिमा का शुभ है। यह वही नगर है जहां वि.सं. १६०५ अर्थात् लगभग दिन था। १५० वर्ष पहले तपस्वी राज श्री जयन्ती लाल जी म. ने
श्री कृष्णकुमार जी, मुनि सुमन्त भद्र बने। दीक्षा लेते ७ दिन का प्रलम्ब तप किया था। उस समय यहां जैन
__ ही आप गुरु सेवाराधना में तल्लीन हो गए। आज भी धर्म का शंखनाद गूंजा था। आचार्य श्री अमरसिंह जी म.
आप श्रद्धेय गुरुदेव चरितनायक श्री सुमन मुनि जी म. की प्रभृति अनेक मुनिराज तपस्वी जी के तप-उपलक्ष में यहां
सेवा में अहर्निश संलग्न रहते हैं। एकत्रित हुए थे। तत्कालीन पटियाला नरेश को भी जैन मुनियों के समक्ष नत होना पड़ा था।
__ पटियाला से आप श्री जी रायकोट पूर्ज श्री रूपचन्द
जी म. की समाधिस्थल पर पधारे जहां पूज्य श्री की स्मृति ३१ अक्तूबर को प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरागांधी
__ में पुण्य दिवस मनाया गया। की हत्या के बाद पटियाला में काफी तनाव बढ़ गया था। पूरे शहर को सेना ने अपने अधिकार में ले लिया था। पर
वहीं पर फरीदकोट का श्री संघ आगामी वर्ष के श्रद्धेय चरितनायक की कृपा से कुछ भी अमंगल नहीं वार्षावास की विनती लेकर आपके श्री चरणों में पहुँचा
जिसे साधुमर्यादानुसार आपने स्वीकार कर लिया। पटियाला वर्षावास में श्री जे.डी. जैन के नेतृत्व में रायकोट से विहार करके आप श्री सुधार, मुल्लांपुर जैन कांन्फ्रेंस तथा लुधियाना के कुछ सदस्य एक समझौता होते हुए लुधियाना पधारे । उपनगरों में विचरण किया। फार्मूला लेकर आप श्री जी के पास पहुँचे। इसके पीछे अगर नगर नौहरियामल का बाग, रूपा मिस्त्री स्ट्रीट - मुख्य उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी म. की प्रेरणा थी। स्थानक में आए। पूज्यवाद श्री रत्नमुनि जी म. के दर्शन ___फार्मूला था कि आप त्यागपत्र वापिस ले लें तो
किए। उपाध्याय पद को पुनः बहाल करा दिया जाएगा। साथ वहां से आप सुन्दरनगर पधारे जहां उपाध्याय श्री ही ये सदस्य आचार्य श्री जी का एक बन्द पत्र भी लेकर मनोहर मुनि जी म. 'कुमुद' के दर्शन किए। सुन्दर नगर आए थे जिसके लिए शर्त थी कि उसे एक महीने के में ही “आचार्य अमरसिंह जैन संघ” की आम बैठक हुई। पश्चात् खोला जाए।
उसमें बाहर के अनेक क्षेत्रों से भी श्रावक गण सम्मिलित श्रद्धेय चरितनायक ने मुनि संघ तथा श्रावक संघ के
के हुए थे। श्रावक संघ के लिए सदस्यता फार्म भरवाने का अधिकारियों का यह प्रस्ताव भी संघ संगठन के नाते
निर्णय लिया गया। स्वीकार कर लिया। पर बाद में यह योजना भी असफल ___ यहां पर उपाध्याय श्री जी, आप श्री जी, डॉ. साध्वी ही सिद्ध हुई।
श्री अर्चना जी आदि कई श्रमण श्रमणियां विराजित थे। इस पर भी विवाद बढ़ता ही चला गया।
अक्षय तृतीया पर्व समायोजित किया गया तथा तपस्विनी
साध्वी जी के वर्षीतप का पारणा हुआ। अस्तु ! वर्षावास सानन्द सम्पन्न हुआ। वर्षावास समाप्ति के दिन श्रद्धेय चरितनायक श्री सुमनमुनि जी म. सुन्दरनगर से पुनः मुख्य उपाश्रय में आपका पदार्पण के चरणों में वर्षों से साधना रत विरक्त श्री सुमन्तभद्र जी हुआ। फरीदकोट वर्षावास के लिए विहार का कार्यक्रम
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