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साधना का महायात्री : श्री सुमन मुनि
पीड़ा/सूजन तथापि अपने लक्ष्य पर यथाकाल पहुंच गए। ऋषिजी म. का अम्बाला शहर में आगमन हो रहा है। पदयात्रा अतीव कठिन भी दृढ़ संकल्प के कारण सरल हो अतः चरखी दादरी, भिवानी, हांसी, बरवाला, रतिया, गई। बहरोड़ होते हुए चातुर्मासार्थ अलवर पधारे। कैथल, अम्बाला होते हुए अम्बाला छावनी पधारे ।
वर्षावास प्रारंभ हुआ। धर्म रंग से रंजित हुए श्रावक- मन में थी उत्सुकता/प्रतीक्षा एवं हृदय में था अपार श्राविका गण ! अपार उत्साह एवं उमंग !
हर्ष । क्यों कि युगपुरुष महामना आचार्य प्रवर श्री आनंद
ऋषि जी म. अपनी शिष्य सम्पदा के साथ अम्बाला शहर आकांक्षी तत्त्व ज्ञान के
को पावन करने वाले थे। आचार्य श्री का शिष्य मण्डली इसी वर्षावास में अलवर स्थानक में स्थित हस्तलिखित सहित निश्चितावधि में पदार्पण हुआ। भंडार का अवलोकन कर ऐतिहासिक सामग्री संकलित
भव्य स्वागत की, ग्रंथ-सूचि तैयार की तथा बृहदालोयणा एवं ज्ञान गुटका का मूलार्थ, टिप्पणी सहित संपादित करके प्रकाशन
___ अम्बाला में आचार्य श्री का भव्य स्वागत हुआ। करवाया। मुनि श्री सुमन कुमारजी म. ने साहित्यिक कार्य
श्रमण संघ के नायक का, पंजाब की धरती पर आगमन के साथ तत्त्व ज्ञान भी प्राप्त किया। श्रावक लाला चाँदमलजी
से श्रद्धालुओं की हृतंत्रियाँ हर्षित हो उठी ! चारों ओर
हर्ष का वातावरण था। पालावत से आपने कर्मग्रन्थ भाग १-२-३ का पारायण किया। श्री पालावत तत्त्वों के मर्मज्ञ एवं ज्ञाता थे। इसी पंजाब प्रान्त की तत्कालीन शिक्षा मंत्री श्रीमती ओम वर्षावास में पूज्य काशीराम जैन ज्ञान भंडार की स्थापना
प्रभा जैन और विधान सभा उपाध्यक्षा श्रीमती लेखवती अलवर में की।
जैन तथा पंजाब, हरियाणा क्षेत्रों के गणमान्य व्यक्ति
स्वागत समारोह में समुपस्थित हुए। यहाँ से महावीर जैन बहरोड़ पदार्पण
भवन में पधारे। यकायक राजनैतिक उथल-पुथल के ई. सन् १६६५ का अलवर-वर्षावास सानंद सम्पन्न । कारण रंग में भंग पड़ गया ! करके पण्डितरत्न गुरुदेव श्री महेन्द्रमुनि जी म.सा., मुनि
उग्र आंदोलन श्री समनकमार जी म.सा. एवं श्री संतोषमनिजी म.सा. बहरोड़ (जो कि चन्द्रास्वामी जी का गाँव है) पधारे। यहाँ
हरियाणा और पजाब के विभाजन के आंदोलन ने से नारनौल आए यहाँ लगभग मास कल्प स्थिरता रही।
उस समय अति उग्ररूप धारण कर लिया था, साथ ही आपश्री ने अलवर चातुर्मास जाने से पूर्व जैन स्थानक के
साथ आंदोलन ने तोड़-फोड़ एवं हिंसक रूप भी ले लिया।
जगह-जगह आगजनी, पथराव आदि दुर्घटनाएं घटित लिए जो भूखण्ड था, वह छोटा था, एक दुकान एवं एक
होने लगी, पुलिस चौकियाँ जगह-जगह स्थापित की जाने अन्य भूखंड को उसमें सम्मिलित करवाया। इस प्रकार
लगी ताकि जन-धन की सुरक्षा हो सके। संघ के पास विशाल भूखण्ड तैयार हो गया, अब यहाँ
अंबालाशहर के महावीर जैन भवन के उपरी भाग में स्थानक निर्माण का कार्य प्रारंभ हुआ।
उस समय आचार्य श्री एवं अन्य वरिष्ठ मुनिगण अपने आचार्य श्री पंजाब की धरा पर
शिष्यों सहित विराजमान थे जिनकी संख्या ४० के लगभग - यहीं पर सूचना प्राप्त हुई कि आचार्य श्री आनंद होगी। उपर्युक्त सन्त त्रय भी वहीं विद्यमान थे।
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