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________________ सर्वतोमुखी व्यक्तित्व प्यारो है मरुधर देश आन-बान और शान की महक मरुधर के जन-जन में ही अपितु, इस पावन भूमि के कण-कण में भी विद्यमान है। मरुधर प्रांत वीरों, कवियों, ऋषियों की जन्मस्थली है, 'आवभगत' के लिए प्रसिद्ध इस भूमि की जनता आज भी अतिथियों को 'अतिथि देवो भव' पद का स्मरण कराती है। हृदयतंत्री गाती है, आमंत्रित करती - “आवों नीं. पधारो नी म्हारे देश। करमाबाई का 'खिचडला' वाला देश। मीरां बाई जैसी जोगिन का प्रदेश ! चंदवरदाई, पन्नाधाय, गोरांधाय, पृथ्वीराज चौहान, अमरसिंह राठोड़, जोधांजी, नैणसी मोहणोत आदि न जाने कितने ही ऐतिहासिक व्यक्तियों, कवियों, वीरों की (क्रमशः सूची बनाई जाए तो एक अलग इतिहास की ही पुस्तक का निर्माण हो जाता है) भी यही धरा है। टॉड को यहीं की भूमि रास आई। यहीं का इतिहास उसके मन को भाया। तैस्सीतोरी ने यहीं की भाषा में अपनत्व की झलक पाई। के समीप छोटा सा रमणीक ग्राम पांचुं। आज जैसी तारकोल की काली सड़कें ग्राम में उस समय नहीं जाती थी। 'ऊँटगाड़ी-बैलगाड़ी' के पहियों की पंक्तियां या पगडंडियां ही आपको उस ग्राम तक ले जाती थी। विद्युत रोशनी की बजाय घरों में दीपों की टिमटिमाहट होती रहती थी। जनरव नहीं था वहाँ, आज की भाँति । सांझ गिरते ही लोग अपने-अपने घरों के आंगन में होते। घरों की चिमनियाँ धुएं को बाहर उगलती रहती। चौपाल पर बैठे लोग 'हथाई' करते रहते। जन्मस्थली : महापुरुषों की..... क्षमामूर्ति आचार्य श्री भूधरजी महाराज, आचार्य श्री रघुनाथजी महाराज, आचार्य श्री जयमलजी महाराज, आचार्य श्री कुशलोजी महाराज, श्री जेतसीजी महाराज आचार्य श्री अमरसिंहजी महाराज, जैसे क्रियावान् 'नामी-गिरामी' महापुरुषों की जन्मस्थली भी तो यही है। यहाँ की प्रत्येक जाति के लोगों ने जैन धर्म में अनुप्राणित होकर भागवती दीक्षा ग्रहण कर अपना जीवन तो धन्य बनाया ही था किन्तु साथ ही साथ अनेकानेक भव्यात्माओं के जीवन को भी सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। पांच ग्राम की ऐतिहासिकता ___ पांचु ग्राम छोटा-सा भले ही हैं किंतु उसकी ऐतिहासिकता प्राचीन है, यहाँ नागौरी लौंकागच्छीय यति श्री केसरीचंद जी का उपाश्रय है, साथ ही साथ विद्यमान है - एक भव्य जैन मंदिर भी। यह जैन मंदिर पांचं ग्राम की एक शताब्दि के इतिहास का गवाह है, इसकी ध्वजापताका इसकी विमल-गौरव-गाथा को फैलाती-सी प्रतीत होती है। पूजा-आरती के स्वर पूरे ग्राम में गुंजरित होते रहते है। वर्तमान में यहाँ श्वेतांबर मूर्तिपूजक, स्थानक वासी एवं तेरापंथी आम्नाय के कतिपय घर है, जिनमें भेद भाव की तनिक भी मात्रा नहीं है। सहयोग एवं सौजन्यता की प्रतिमूर्ति है वहाँ के श्रावकगण ! श्री युत जेठमलजी, कालूरामजी बैद, चेतनजी बरड़िया आदि इस ग्राम के अग्रगण्य सज्जन हैं। इसका रेल्वे स्टेशन एवं पुलिस थाना नोखामंडी है। महायतिनी गुरुवर्याश्री रुकमांकंवर जी की यह कर्म-धर्म स्थली रही है। धूल में खिला सुमन यहाँ दूर से ही मेरा मन ‘पांचु' ग्राम की भूमि में द्रुत गति से पलक झपकते ही पहुँच गया। माटी के टीले ग्राम के इर्द-गिर्द ऐसे प्रतीत होते है रात्रि की शारदीय छटा में जैसे चाँदी के छोटे-छोटे पहाड हों। दिन में ऐसे दिखाई परिक्रमा पांचु ग्राम की आज के राजस्थान राज्य में, पूर्व में मरुधर देश का बीकानेर राज्य (थली प्रदेश) का नोखामंडी परगना ! उसी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012027
Book TitleSumanmuni Padmamaharshi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadreshkumar Jain
PublisherSumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
Publication Year1999
Total Pages690
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size24 MB
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