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साधना का महायात्री : श्री सुमन मुनि
आपके सात शिष्य थे - (१) तपस्वी श्री ईश्वर दास लगभग सभी स्थानकवासी सम्प्रदायों का एक बृहद् सम्मेलन जी म. (२) कवि श्री हर्पचन्द्र जी म. (३) तपस्वी श्री आयोजित हुआ। इस सम्मेलन में विभिन्न सम्प्रदायों के कल्याण चन्द्र जी म. (४) प्रवर्तक पण्डित रल श्री शुक्ल समस्त पदाधिकारी मुनिराजों ने अपने अपने पदों से स्वेच्छा चन्द्र जी म. (५) श्री जौहरी लाल जी म. (६) श्री सुरेन्द्र से त्यागपत्र दे दिया और समवेत स्वर से निर्णय किया कि मुनिजी म. एवं (७) श्री हरिश्चन्द्र जी म (थानेदार) सकल स्थानकवासी मुनि संघ का एक ही आचार्य होगा। आचार्य प्रवर श्री काशी राम जी म. के स्वर्गवास के ।
उसी अवसर पर आगम दिवाकर श्री आत्मारामजी म. को पश्चात् उपाध्याय श्री आत्माराम जी महाराज पंजाब मनि संयुक्त स्थानकवासी मुनि सम्प्रदाय जिसका नामकरण उस परम्परा के (१४) आचार्य बने। एतदर्थ वि.सं. २००३ में
अवसर पर “अखिल भारतीय वर्धमान स्थानकवासी आप श्री जी को आचार्य पद की प्रतीक चादर भेंट की
श्रमणसंघ" किया गया था का आचार्य मनोनीत किया
गया। गई। (इसी अवसर पर पूज्य पण्डित रत्न श्री शुक्लचन्द जी महाराज को युवाचार्य पद प्रदान किया गया) वि.सं. उपरोक्त विवरण से यह स्पष्ट हो गया कि वि.सं. २००६ तक आप पंजाब मुनि संघ के आचार्य पद पर २००६ के बाद “पंजाब श्रमणसंघ” का “अखिल भारतीय प्रतिष्ठित रहे। तदन्तर २००६ में आप अखिल भारतीय वर्धमान स्था. जैन श्रमणसंघ” में विलय हो गया। इसलिए वर्धमान स्थानकवासी श्रमणसंघ के आचार्य मनोनीत किए। पंजाब मुनि संघ ने श्रमणसंघ के आचार्य को ही अपना गए। (विशेष परिचय आगे दिया जाएगा)
आचार्य माना। ___ अस्तु । आचार्य श्री हरिदास जी म. से लेकर आचार्य इस दृष्टि से हम पंजाब मुनि परम्परा के आचार्यों की श्री आत्माराम जी म. के वि.सं. २००६ तक के शासन नामावलि पूज्य प्रवर आचार्य श्री आत्माराम जी म. तक काल पर्यंत पंजाब मुनि संघ में स्वतंत्र आचार्य परम्परा ही दे कर स्थगित कर रहे हैं। आचार्य श्री आत्माराम जी कायम रही। उसके पश्चात् वि.सं. २००६ में राजस्थान म. के बाद पंजाब परम्परा में कोई स्वतंत्र आचार्य नहीं प्रान्त के सादड़ी नगर में संधैक्य के लिए भारत वर्ष की हुआ। ...
__ छोटी-छोटी बातें भी जीवन में महत्त्वपूर्ण होती है। साक्षी है इतिहास विश्व में विस्फोटक स्थिति पैदा होने के पीछे छोटी-छोटी बातें ही रही हैं। इन छोटी बातों के आधार पर मानव मन के अन्तःकरण में महान् परिवर्तन भी हुए हैं। जीवन को बनाने और बिगाड़ने में छोटी-छोटी बातों में भी आश्चर्यजनक सामर्थ्य/शक्ति है।
कभी कभी छोटा सा एक वचन तीर की सी बेधड़कता के साथ सीधा हृदय में प्रवेश कर जाता है और लम्बे चौड़े सैद्धान्तिक विश्लेषणों का कोई असर नहीं होता।
-सुमन वचनामृत
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पंजाब श्रमणसंघ की आचार्य परम्परा
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